Indian News (इंडिया न्यूज), White House On Trump’s Liberation Day: डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सबसे ताकतवर नेता की कुर्सी संभालते ही एक बाद एक विवादित फैसले लेने शुरू कर दिए थे। जिसकी वजह से कई देशों ने अमेरिका पर भौंहें तान ली हैं। ट्रंप ने भारत को भी नहीं छोड़ा है। कल यानी 2 अप्रैल से उनका टैरिफ को सबसे बड़ा फैसला लागू होने वाला है। इस फैसले ने दुनिया भर में टैरिफ वॉर छेड़ दी है, जिसके खिलाफ कई देश धीरे-धीरे एकजुट हो रहे हैं। नए टैरिफ नियमों के लागू होने से पहले व्हाइट हाउस की तरफ से एक स्टेटमेंट जारी किया गया है, जिस पर नया बवाल शुरू हो गया है।
Liberation Day से पहले क्या हुआ?
ट्रंप ने एक स्टेटमेंट में कह दिया था कि भारत, अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाता है और ऐसा ही अन्य देश भी कर रहे हैं, जिसकी वजह से ट्रेड असंभव होता जा रहा है। ट्रंप ने टैरिफ नियमों में बदलाव की तारीख का ऐलान करते हुए इसे ‘लिबरेशन डे’ घोषित कर दिया था। इस बीच व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने रेसीप्रोकल टैरिफ को लेकर स्टेटमेंट जारी किया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लेविट ने कहा कि ‘अनुचित व्यापार प्रैक्टिस’ को रोकने की सख्त जरूरत है।
‘अगर अमेरिका डूबा तो हम सब डूबेंगे’, एलन मस्क दे रहे अमेरिका की तबाही का संकेत? क्या है इसकी वजह
लहराया कौन सा कागज?
उन्होंने हाथ में एक कागज लहराते हुए कहा ‘ये देश लंबे समय से अमेरिका का लूट रहे हैं और मुझे लगता है कि इससे अमेरिकी लेबर्स के प्रति उनकी नफरत साफ जाहिर होती है’। उन्होंने बताया कि ट्रंप टैरिफ के ने नियम लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और ‘ये पारस्परिकता का समय है’।
अमेरिका और इस नाटो देश के बीच होगी 2 बिलियन डॉलर की डिफेंस डील, खबर सुन रूस की टेंशन बढ़ी
सारे देशों की टैरिफ डिटेल की शेयर
इस दौरान लेविट के हाथ में जो कागज था वो असल में यूरोपीय संघ, भारत, जापान और कनाडा की ओर से लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ की डीटेल लिस्ट थी। जिसे पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि ‘यूरोपीय संघ की ओर से अमेरिकी डेयरी उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाता है। जापान, अमेरिका के चवल पर 700 प्रतिशत टैरिफ लगाता है। भारत की ओर से अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाता है और कनाडा, अमेरिकी पनीर पर 300 प्रतिशत टैरिफ लगाता है। जिसकी वजह से अमेरिकी उत्पादों का आयात करना लगभग असंभव हो चुका है और नतीजा ये हुआ है कि कई अमेरिकी व्यवसाय और रोजगार को तरस रहे हैं’।