India News (इंडिया न्यूज),Bangladesh:बांग्लादेश, जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न की खबरें अक्सर सामने आती रही हैं। अब उसी देश को यूरोपीय संघ (ईयू) ने ‘सुरक्षित’ घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं, भारत समेत सात देशों की सूची तैयार की गई है, जिन्हें अब ईयू शरणार्थियों की वापसी के लिए ‘सुरक्षित देश’ मानता है।दुनिया के 27 यूरोपीय देशों ने इस फैसले पर सहमति जताई है। इस फैसले ने विवाद को भी जन्म दिया है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इन देशों में कई गंभीर उल्लंघनों के आरोप हैं, इसलिए इन्हें ‘सुरक्षित’ घोषित करना चिंताजनक है।
सूची पर विवाद क्यों ?
यूरोपीय संघ द्वारा जारी इस नई सूची में भारत के अलावा बांग्लादेश, मिस्र, ट्यूनीशिया, मोरक्को, कोलंबिया और कोसोवो शामिल हैं। ईयू का कहना है कि इन देशों के नागरिकों पर आमतौर पर व्यापक उत्पीड़न या हिंसा का खतरा नहीं होता, इसलिए इन्हें ‘सुरक्षित’ माना गया है। हालांकि, मिस्र और ट्यूनीशिया जैसे देशों में प्रेस की स्वतंत्रता, राजनीतिक विरोध और मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े गंभीर आरोप समय-समय पर सामने आते रहे हैं।
EU ने क्या कहा ?
ईयू के अनुसार, कई सदस्य देशों में बड़ी संख्या में शरण के आवेदन लंबित हैं। इन आवेदनों की समीक्षा में तेजी लाने के लिए यह कदम उठाया गया है। साथ ही, ब्रुसेल्स पर अवैध प्रवास को रोकने और उन लोगों की वापसी सुनिश्चित करने का दबाव है, जिनके शरण आवेदन खारिज हो गए हैं। यूरोप के कई हिस्सों में प्रवास विरोधी राजनीति को बढ़ावा दिए जाने के कारण, यह कदम राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ईयू ने 2015 में भी इसी तरह की सूची तैयार की थी, लेकिन तुर्की को ‘सुरक्षित’ देश घोषित करने पर भारी विवाद हुआ और आखिरकार योजना को स्थगित कर दिया गया। नई सूची को समय-समय पर अपडेट किया जा सकता है। सदस्य देश अपने स्तर पर इसमें देशों को जोड़ सकते हैं, लेकिन किसी नाम को हटाया नहीं जा सकता।
किसको मिला ईयू का समर्थन?
मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि यह कदम यूरोप में शरणार्थियों के अधिकारों को धीरे-धीरे कमजोर करने की दिशा में एक और कदम है। हालांकि, ईयू ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हर शरण याचिका की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की जाएगी और केवल इस सूची के आधार पर किसी मामले को खारिज नहीं किया जाएगा।
उधर, ईयू की इस नई पहल को इटली, डेनमार्क और नीदरलैंड जैसे देशों का समर्थन मिला है। ये देश पहले से ही शरणार्थियों की जल्द वापसी के लिए नियमों में बदलाव की मांग कर रहे थे। इटली के गृह मंत्री ने इस फैसले को अपनी सरकार की “बड़ी जीत” बताया है।