India News (इंडिया न्यूज),Tahawwur Rana Extradition: मुंबई में 26/11 आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा का विमान दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतर चुका है। लैंडिंग के बाद की प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं। थोड़ी देर में उसे आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार करने के बाद एनआईए अपने मुख्यालय ले जाएगी। इसके बाद आगे की कानूनी कार्यवाही पूरी की जाएगी।  करीब 16 साल बाद राणा के भारत लौटने का रास्ता साफ हो गया है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए के तीन अधिकारी खुफिया विभाग के तीन और अधिकारियों के साथ राणा को लाने के लिए अमेरिका गए थे। आखिरकार राणा की भारत वापसी हो गई है। अहम पड़ाव पर आइये जानें उस जज के बारे में जिनके एक फैसले से राणा की आखिरी उम्मीद टूट गई। इस जज का नाम एलेना कगन है।

कौन हैं एलेना कगन?

दरअसल, इस साल 27 फरवरी को तहव्वुर राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जज एलेना कगन के समक्ष प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिसे उन्होंने 6 मार्च को खारिज कर दिया था। इसके बाद राणा के भारत आने का रास्ता खुल गया था। 64 वर्षीय कगन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में जज हैं। कगन को 2010 में बराक ओबामा ने नियुक्त किया था। वे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की चौथी महिला जज हैं। उन्हें अमेरिका की पहली महिला सॉलिसिटर जनरल बनने का गौरव भी हासिल है। वे 2009 में अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल बनी थीं। अगले साल सुप्रीम कोर्ट के जज जॉन पॉल स्टीवंस के रिटायर होने के बाद ओबामा ने उनकी जगह कगन का नाम आगे बढ़ाया। अमेरिकी सीनेट ने 63-37 के बहुमत से उन्हें नियुक्त किया।

तहव्वुर राणा की कोर्ट में दलील

जब एलेना कगन ने राणा की दलील खारिज की तो उन्होंने अमेरिकी चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष भी दलील दी। यह याचिका अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों – जस्टिस क्लेरेंस थॉमस, जस्टिस सैमुअल एलिटो, जस्टिस सोनिया सोटोमोर, जस्टिस एलेना कगन, जस्टिस नील एम. गोरसच, जस्टिस ब्रेट एम. कवाना, जस्टिस एमी कोन बैरेट, जस्टिस केतनजी ब्राउन जैक्सन के समक्ष पेश की गई थी। लेकिन यहां भी राणा का मामला नहीं चल पाया। राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में जो दलीलें पेश कीं, उनमें यह भी थी कि उसे भारत में और भी अत्याचारों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि वह मुस्लिम है, पाकिस्तानी है और इस्लामाबाद की सेना का हिस्सा है। साथ ही, उसने अपनी बिगड़ती सेहत का भी हवाला दिया। लेकिन कोर्ट में उसकी दलीलें काम नहीं आईं।

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