India News (इंडिया न्यूज), Superbug Fungus Infection : दुनिया भर के देशों में जानलेवा वायरस कोरोना ने एक बार फिर से दस्तक दे दी है। भारत में भी कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के कान खड़े हो गए हैं। अब इसी कड़ी में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) ने सभी देशों को चेतावनी जारी की है। ये चेतावनी फंगस को लेकर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये कोरोना से कहीं ज्यादा खतरनाक है. ये शरीर के अंदर से नुकसान पहुंचाता है और बेहद तेज़ी से बढ़ता है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अजीबोगरीब फंगस पूरी दुनिया में फेल रहा है और आने वाले समय में ये ब्रिटेन तक पहुंच जाएगा। आसान भाषा में कहें तो ये फंगल इंफेक्शन धीरे-धीरे पूरी दुनिया की तबाह कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो ये इंसानों के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा।

क्या है फंगस?

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इसे एस्परगिलस फ्यूमिगेटस कहा जाता है, यह एस्परगिलोसिस नामक घातक बीमारी का कारण बनता है। यह फेफड़ों को संक्रमित करता है और मस्तिष्क तक फैल सकता है। इसके कारण व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है और अंततः उसकी मृत्यु भी हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बताया है। आशंका है कि यह फंगस जल्द ही उत्तरी अमेरिका, यूरोप, चीन और रूस में भी फैल सकता है।

कोरोना से भी खतरनाक है फंगस

रिपोर्ट्स के मुताबिक एस्परगिलोसिस की मृत्यु दर 85.2% है। साल 2022 में WHO ने Aspergillus flavus को अपने महत्वपूर्ण फंगल रोगजनकों की सूची में शामिल किया था। डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक ये स्वास्थ्य के लिए खतरा है और दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो सकता है। सीधी भाषा में कहें तो ये लाइलाज फंगस है। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन में सुपरकंप्यूटर की मदद से भविष्यवाणी की गई है कि Aspergillus fumigatus साल 2100 तक 77% अधिक क्षेत्रों में फैल सकता है, जिससे लाखों लोग संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।

ना पहचाना जा सकता है, ना इलाज हो सकता है…

इस फंगस की सबसे भयावह बात यह है कि इसे पहचानना बहुत मुश्किल है और इसका इलाज भी मुश्किल है। यह गर्म और नम वातावरण में पनपता है और खाद के ढेर, सड़ते हुए कार्बनिक पदार्थों और हवा में पाया जा सकता है। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में अलग-अलग जलवायु में तीन खतरनाक एस्परगिलस प्रजातियों (ए. फ्यूमिगेटस, ए. फ्लेवस और ए. नाइजर) का अध्ययन किया गया।

अध्ययन के मुख्य लेखक नॉर्मन वैन रिजन ने कहा है कि वायरस और परजीवियों की तुलना में फंगस पर कम शोध हुआ है, लेकिन ये नक्शे बताते हैं कि भविष्य में फंगल संक्रमण दुनिया के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।

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