India News (इंडिया न्यूज),Bihar and UP Teacher’s Salary 2025:बिहार और उत्तर प्रदेश (यूपी) देश के दो बड़े राज्य हैं, लेकिन यहां के सरकारी शिक्षकों की सैलरी में जमीन-आसमान का अंतर है। जहां यूपी के शिक्षक आराम से ₹60,000 से ₹80,000 तक की सैलरी पाते हैं, वहीं बिहार के शिक्षक इससे काफी पीछे हैं। बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की सैलरी ₹30,000 से ₹50,000 के बीच ही सिमट कर रह जाती है। आखिर ये अंतर इतना बड़ा क्यों है और इसके पीछे की वजहें क्या हैं? आइए जानते हैं।
UP के शिक्षकों को ज्यादा सैलरी क्यों मिलती है?
उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षकों की सैलरी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित वेतनमान के आधार पर दी जाती है, जो केंद्र सरकार के सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के अनुसार तय की जाती है। यूपी में शिक्षकों को बेसिक पे के अलावा महंगाई भत्ता (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA), मेडिकल अलाउंस और अन्य भत्ते भी दिए जाते हैं। इसके अलावा, प्रमोशन और इन्क्रीमेंट की प्रक्रिया भी यूपी में बिहार के मुकाबले काफी तेज है, जिससे शिक्षकों की सैलरी लगातार बढ़ती रहती है।
बिहार के शिक्षक क्यों हैं सैलरी के मामले में पीछे?
दूसरी ओर, बिहार के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग का लाभ पूरी तरह से नहीं मिला है। यहां के शिक्षकों को कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया जाता है, जिन्हें नियमित शिक्षकों की तुलना में कम सैलरी दी जाती है। इसके अलावा, बिहार सरकार के पास वित्तीय संसाधनों की कमी भी एक बड़ी वजह है। राज्य सरकार की सीमित आय और केंद्र से मिलने वाली सहायता पर निर्भरता के कारण शिक्षकों की सैलरी में ज्यादा इजाफा नहीं हो पा रहा है।
Government School teachers Salary 2025: कितना बड़ा है अंतर?
यूपी में एक प्राइमरी टीचर को शुरुआत में ही ₹40,000 से ₹50,000 तक की सैलरी मिलती है, जबकि बिहार में यह राशि ₹20,000 से ₹30,000 के बीच होती है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर यूपी में सैलरी ₹60,000 से ₹80,000 तक पहुंच जाती है, जबकि बिहार में यह ₹35,000 से ₹50,000 के बीच ही रहती है।
Government Jobs 2025: शिक्षकों की मांग
बिहार के शिक्षक लंबे समय से समान काम के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार और यूपी दोनों ही हिंदी पट्टी के राज्य हैं, फिर भी सैलरी में इतना बड़ा फर्क क्यों? बिहार सरकार से शिक्षकों की मांग है कि उनकी सैलरी को सातवें वेतन आयोग के अनुसार संशोधित किया जाए, ताकि उन्हें भी यूपी के शिक्षकों के बराबर वेतन मिल सके। बिहार और यूपी के शिक्षकों की सैलरी में यह बड़ा अंतर न केवल आर्थिक असमानता को दिखाता है, बल्कि राज्य सरकारों की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़ा करता है।