India News (इंडिया न्यूज), BSF Act 1968 : BSF के जवान कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान के हिस्से में चले गए थे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन 20 दिन बाद 14 मई को भारत के दबाव के बाद बीएसएफ जवान को वापस कर दिया गया है। कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तानी रेंजर्स ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर BSF को सौंपा।

कांस्टेबल पूर्णम कुमार देश वापस तो आ गए हैं लेकिन अब उनकी नौकरी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अब उनकी नौकरी जा सकती है। चलिए जानते हैं कि अगर कोई आर्म्ड फोर्सेज का जवान यदि गलती से सीमा पार कर जाता है तो उसकी वापसी के बाद क्या होता है।

क्या चली जाएगी कांस्टेबल पूर्णम कुमार की नोकरी?

वैसे बता दें कि बीएसएफ एक्ट के मद्देनजर पूर्णम कुमार की नौकरी पर पिलहाल तो कोई खतरा नहीं है। क्योंकि उन्होंने गलती से सीमा पार की थी. जिसे आमतौर पर बर्खास्तगी का आधार नहीं माना जाता है। लेकिन पूर्णम कुमार को अभी कई प्रोटोकॉल से गुजरना होगा। बीएसएफ एक्ट के अनुसार उन्हें कई जांच प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। जो कुछ इस प्रकार हैं –

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की होगी जांच

सबसे पहले बीएसएफ जवान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की सघन जांच की जाएगी। इसमें तनाव या आघात की जांच के लिए काउंसलिंग और मेडिकल टेस्ट होते हैं। इसमें उसके पूरे शरीर को जांचा जाता है कि दुश्मन देश ने कोई चिप तो नहीं इम्प्लांट किया है।

सुरक्षा एजेंसियां करेंगी पूछताछ

इसके अलावा बीएसएफ जवान के वापस लौटने के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ और सेना/बीएसएफ जैसी सुरक्षा एजेंसियां ​​उससे विस्तार से पूछताछ करती हैं। इसमें पता चलता है कि जवान ने कोई संवेदनशील जानकारी साझा की है या नहीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्णम शॉ से पूछताछ का यह सिलसिला कुछ हफ्तों तक चल सकता है।

तुरंत नहीं भेजा जाएगा ड्यूटी पर

आपको बता दें कि पूर्णम कुमार शॉ के वापस आने के बाद उन्हें तुरंत सक्रिय ड्यूटी पर नहीं भेजा जाएगा। उन्हें कुछ समय के लिए ग्राउंडेड रखा जाएगा। ताकि उनकी सुरक्षा और मानसिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (2019) के मामले में भी यही प्रोटोकॉल लागू किया गया था। कुछ समय बाद उन्हें सामान्य ड्यूटी पर भेज दिया गया था।

बीएसएफ एक्ट 1968 क्या कहता है?

बीएसएफ अधिनियम 1968 की धारा 40 में अनुशासन भंग करने पर 7 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है। इस धारा में कई तरह की सजाओं का उल्लेख है, जैसे बर्खास्तगी, रैंक में कमी या बल की जेल में 3 महीने की कैद। हालांकि, गलती से सीमा पार करना आमतौर पर अनुशासन का उल्लंघन नहीं माना जाता है। इसलिए, नौकरी जाने की संभावना बहुत कम है।

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