India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), GST on Health Insurance: स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी का मुद्दा काफी समय से गरमाया हुआ है। अब इसे खत्म होने में सिर्फ एक दिन बचा है। सोमवार यानी 9 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक होनी है। इस बैठक के बाद यह साफ हो जाएगा कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट मिलेगी या नहीं।
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरें कम?
अगर स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरें कम या खत्म कर दी जाती हैं तो देश के करोड़ों लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा सस्ता हो जाएगा। हालांकि, दूसरी तरफ इससे सरकार की आमदनी पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में सभी को इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि इस बैठक में जीएसटी काउंसिल क्या फैसला लेती है।
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जीएसटी दरों में बदलाव पर विचार..
फिटमेंट कमेटी की ओर से काउंसिल को दिए गए विकल्प जीएसटी काउंसिल के तहत ही एक फिटमेंट कमेटी होती है। इस कमेटी में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरों में बदलाव पर काफी समय से विचार किया जा रहा है। इस कमेटी में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के राजस्व अधिकारी भी शामिल होते हैं। कमेटी ने जीएसटी काउंसिल के सामने कई सुझाव पेश किए हैं, हालांकि अंतिम फैसला काउंसिल के हाथ में है।
फिलहाल पॉलिसीधारकों को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18 फीसदी GST देना पड़ता है। जबकि सरकार से मांग की जा रही है कि या तो इस पर GST खत्म किया जाए या फिर दर को कम करके 5% किया जाए।
गडकरी ने की जीएसटी दरें हटाने की अपील केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने करीब एक महीने पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी के दायरे से बाहर करने का अनुरोध किया था। वहीं, शुक्रवार 6 सितंबर को कर्नाटक सरकार ने केंद्र से निम्न और मध्यम आय वर्ग के पॉलिसीधारकों के लिए स्वास्थ्य बीमा पर 18% जीएसटी लगाने पर पुनर्विचार करने की अपील की।
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पॉलिसीधारकों को लाभ पहुंचाने का प्रयास टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के एक वित्त मंत्री ने कहा कि “अधिकारी ऐसे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं, जिससे धारकों को मदद मिल सके। हालांकि, हमारी एक चिंता यह है कि बीमा कंपनियां लाभ को अपने पास रख सकती हैं और इससे स्वास्थ्य बीमा खरीदने वालों को कोई फायदा नहीं होगा।” जबकि एक अन्य मंत्री ने कहा कि “बैठक में मंत्री ऐसा फॉर्मूला देने की कोशिश करेंगे, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ कम हो और यह भी सुनिश्चित हो कि लाभ कंपनियों की जेब में न जाए।
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