India News (इंडिया न्यूज),Today Tips: प्राचीन ग्रंथों में हर दिन को शुभ और मंगलमय बनाने तथा मनुष्य को सही-गलत का मार्गदर्शन देने के लिए कई सूत्र बताए गए हैं। अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग काम में सफलता पाने के लिए घर से निकलने से पहले सीधे पैर बाहर निकालकर काम पर जाने की सलाह देते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे हमारा दिन शुभ होता है और हमारे काम सफल होते हैं। जब भी हम किसी कार्य को करने के उद्देश्य से घर से निकलते हैं तो सबसे पहले भगवान श्री गणेश और अपने इष्टदेव का स्मरण कर अपने पैर सीधे रखने से कार्य में सफलता अवश्य मिलती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सबसे पहले सीधा पैर बाहर रखना शुभ माना जाता है। सभी धर्मों में दाहिने अंग को विशेष महत्व दिया गया है। सीधे हाथों से किए गए शुभ कार्य ही देवी-देवता स्वीकार करते हैं।
घर से बाहर रखें यह कदम
हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी-देवताओं की कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। इसी कारण से सारा पूजन कार्य सीधे हाथों से किया जाता है। जब भी आप घर से बाहर जाएं तो पहले अपना सीधा पैर बाहर रखें ताकि काम की ओर पहला कदम शुभ हो तो पूरा काम जरूर सफल होगा। दाहिने या सीधे पैर का महत्व इतना है कि जब नई नवेली दुल्हन घर में प्रवेश करती है तो वह भी सबसे पहले सीधे पैर से घर की दहलीज के अंदर कदम रखती है ताकि जीवन भर घर में शुभता बनी रहे। कुछ स्थानों पर, नवविवाहित दुल्हन सबसे पहले चावल से भरे बर्तन को अपने दाहिने पैर से गिराती है और पूरे परिवार के लिए सुखद भविष्य की भावना लेकर आगे बढ़ती है। सीधे पैर को पहले बाहर रखने से हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे मन प्रसन्न रहता है। इसका असर पूरे दिन रहता है. सीधे पैर करके काम पर जाने और भगवान गणेश का स्मरण करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
ध्वन्यात्मकता के अनुसार
स्वर विज्ञान के अनुसार घर से निकलते समय सबसे पहले यह देख लें कि कौन सा स्वर चल रहा है। स्वर विज्ञान के अनुसार सूर्य और चंद्र दो स्वर हैं, जिनका एहसास नासिका छिद्रों पर हाथ रखने से तेज सांस के आधार पर होता है। जिन लोगों को ध्वनि-विज्ञान का ज्ञान होता है, वे अपना कार्य एवं व्यवहार ध्वनि-विज्ञान के अनुसार ही करते हैं। घर से बाहर निकलते समय स्वर विज्ञान के अंतर्गत सांस लेने की दिशा देखी जाती है कि गहरी सांस किस नासिका से आ रही है। इसके लिए नाक पर हथेली या उंगली रखकर यह महसूस किया जाता है कि गहरी सांस किस नासिका से आ रही है। कभी-कभी नाक के दाहिनी ओर से गहरी सांस महसूस होती है और कभी-कभी नाक के बाईं ओर से गहरी सांस महसूस होती है। स्वर विज्ञान के अनुसार यदि दाहिनी नासिका से तेज सांस आ रही हो तो दाहिना पैर बाहर निकाल लेना चाहिए और यदि बाईं नासिका से गहरी सांस आ रही हो तो बायां पैर बाहर निकाल लेना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है, ‘जिधर नाद जाई, मैं चरण दूँ, भद्रा या भरणी, ले न कोय।’ अर्थात ध्वनि विज्ञान की मानें तो यात्रा करते समय या घर से बाहर जाते समय यह अवश्य देख लेना चाहिए कि कौन सा स्वर चल रहा है और जो स्वर चल रहा है उसके अनुसार ही आगे बढ़ना चाहिए ताकि व्यक्ति को कार्य में पूर्ण सफलता मिल सके।
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