India News (इंडिया न्यूज), Bageshwar Dham Sarkar: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा गांव में स्थित बागेश्वर धाम इन दिनों लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चमत्कारी दरबार की कहानियां देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। भक्तों का मानना है कि वह किसी भी व्यक्ति के मन की बात बिना पूछे ही जान लेते हैं और उनकी परेशानियों का समाधान कर देते हैं।
क्या है बागेश्वर धाम का रहस्य?
बागेश्वर धाम में हर मंगलवार और शनिवार को हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां अपनी समस्या लेकर आता है, उसे तुरंत समाधान मिल जाता है। पं. धीरेंद्र शास्त्री के भक्त उन्हें दिव्य शक्तियों से संपन्न बताते हैं और मानते हैं कि वह बिना किसी जानकारी के भी व्यक्ति की समस्या पहचान लेते हैं। यहां आने वाले लोगों का मानना है कि जैसे ही वे धाम में प्रवेश करते हैं, उन पर मौजूद बुरी शक्तियां स्वतः ही दूर हो जाती हैं। खासतौर पर, प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु नारियल और पूजा सामग्री लेकर पहुंचते हैं।
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ट्रू टॉक पॉडकास्ट में भी बाबा बागेश्वर की शक्तियों को लेकर बात हुई है जिसमें एंकर ने सावल पूछा कि क्या बाबा बागेश्वर के पास कोई ऐसी शक्ति या जिन्न है जिससे वो बातें पता लगा पाते हैं? इसका जवाब देते हुए सामने बैठा व्यक्ति कहता है कि, ‘नहीं पहली बात तो बागेश्वर बाबा जिन्न का यूज़ नहीं करते वो उनके पास जो है वो एक कर्ण पिशाचिनी है। मैंने जब देखा मुझे विश्वास नहीं हुआ कि कर्ण पिशाचिनी ऐसी दिखती वो एकदम अप्सरा की तरह है। वो इतनी शुद्ध है। वो उन्हें बहुत साधना से सिद्ध हुई है और हनुमान जी की कृपा से मिली है। कर्ण पिशाचिनी बहुत ज्यादा पॉजिटिव होती है। कर्ण पिशाचिनी सिर्फ काम नहीं करती न वो ठीक करती है। लेकिन आपका कच्चा चिट्ठा वो खोल देगी। जैसे आपने एक हफ्ते में क्या खाया वो बता देगी । साथ ही वो आपकी आगे पीछे की पूरी हिस्ट्री, आपके पेरेंट्स क्या करते हैं कौन हैं, घर का पेंट कौन सा है, मंदिर किस साइड है, कल किस तरह की क्रिया अपने की है ये सब कुछ बता देगी। कर्ण पिशाचिनी सब कुछ कान में बोलती है।’
कर्ण पिशाचिनी विद्या का रहस्य
पं. धीरेंद्र शास्त्री की सिद्धि को “कर्ण पिशाचिनी विद्या” कहा जाता है। यह एक प्राचीन तांत्रिक विद्या मानी जाती है, जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति के बारे में गुप्त जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जानकारों के अनुसार, कर्ण पिशाचिनी सिद्धि एक गूढ़ तंत्र विद्या है, जिसमें एक अदृश्य शक्ति साधक के कान में उत्तर देती है। यह शक्ति केवल उसी व्यक्ति को सुनाई देती है जिसने इस विद्या को सिद्ध कर लिया हो। इस विद्या को नेक्रोमेंसी यानी पिशाच विद्या भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस विद्या को साधने के लिए कठोर तपस्या करनी पड़ती है, और सिद्धि प्राप्त करने के बाद साधक किसी भी अलौकिक शक्ति से संवाद कर सकता है। पं. धीरेंद्र शास्त्री के भक्तों का मानना है कि वह इस विद्या में सिद्धहस्त हैं और इसी कारण वह किसी व्यक्ति के सामने आते ही उसके मन की बात जान लेते हैं। वे व्यक्ति का नाम, परिवार की जानकारी, उसकी समस्या और यहां तक कि उसके आने का कारण भी बता देते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री का जीवन और साधना
पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के गड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम राम करपाल गर्ग और माता का नाम सरोज गर्ग है। उनके दादा भगवान दास गर्ग निर्मोही अखाड़े से जुड़े थे और वे ही उनके गुरु थे। उन्होंने ही धीरेंद्र शास्त्री को रामायण, भागवत गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करवाया। बाल्यकाल से ही धार्मिक परिवेश में पले-बढ़े पं. धीरेंद्र शास्त्री ने साधना और प्रवचन की ओर अपना रुझान विकसित किया। उनका मानना है कि उनके दादा से मिली शिक्षा और साधना के बल पर ही उन्हें यह दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ है।
बागेश्वर धाम में भक्तों का सैलाब
हर मंगलवार और शनिवार को बागेश्वर धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। विशेष रूप से, जो लोग प्रेत बाधा या अन्य पारलौकिक समस्याओं से परेशान होते हैं, वे यहां आकर अपनी मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। श्रद्धालु विशेष रूप से लाल कपड़ों में लिपटे नारियल अर्पित करते हैं, जिससे वहां नारियलों का बड़ा ढेर लग जाता है। धाम की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और भक्तों की आस्था मजबूत होती जा रही है। पं. धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारों पर जहां एक ओर लोग विश्वास करते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इस पर सवाल भी उठाते हैं। लेकिन आस्था के इस महासागर में हर दिन हजारों लोग बागेश्वर धाम की ओर खिंचे चले आते हैं।
क्या सच में संभव है यह विद्या?
हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कर्ण पिशाचिनी विद्या को सिद्ध करने के कोई प्रमाण नहीं हैं। इसे केवल मान्यता और आस्था के आधार पर स्वीकार किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह या तो गहन मनोवैज्ञानिक अध्ययन का परिणाम हो सकता है या फिर सदियों पुरानी परंपराओं के कारण पैदा हुई एक धारणा। बावजूद इसके, बागेश्वर धाम और पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है। भक्तों के अनुसार, यहां आने से उनकी समस्याओं का समाधान हो जाता है और वे मानसिक शांति का अनुभव करते हैं।
आस्था बनाम विज्ञान
बागेश्वर धाम में आने वाले श्रद्धालु इसे ईश्वरीय चमत्कार मानते हैं, जबकि कई लोग इसे केवल एक तंत्र-विद्या मानकर देखते हैं। आस्था और विज्ञान की इस जंग के बीच, बागेश्वर धाम श्रद्धालुओं के लिए उम्मीद की किरण बना हुआ है।
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