India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में करोड़ों लोग जुटेंगे। सदियों से महाकुंभ के दौरान कल्पवास की परंपरा चली आ रही है। हिंदू धर्म में कल्पवास का बहुत महत्व है। ऐसे में आज हम आपको कल्पवास के बारे में जानकारी देंगे, साथ ही यह भी बताएंगे कि कल्पवास से जुड़े नियम क्या हैं।

कल्पवास क्या है?

कल्पवास का उल्लेख रामचरितमानस और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। इसलिए महाकुंभ के दौरान कल्पवास का महत्व और भी बढ़ जाता है। कई लोग महाकुंभ के दौरान कल्पवास का व्रत भी रखते हैं। मान्यताओं के अनुसार कल्पवास करने से 100 साल तक बिना अन्न खाए तपस्या करने के बराबर फल मिलता है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से शुरू होकर माघ माह के 12वें दिन तक चलता है। कल्पवास के दौरान सादा जीवन व्यतीत किया जाता है, सफेद और पीले रंग के कपड़े पहने जाते हैं। कल्पवास की अवधि एक रात से लेकर 12 साल तक हो सकती है। कल्पवास के नियम क्या हैं, आइए अब इनके बारे में जानते हैं।

कल्पवास के नियम क्या हैं?

  • इंद्रियों को नियंत्रण में रखना
  • हर परिस्थिति में सत्य का पालन करना
  • अहिंसा का पालन करना
  • ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना
  • सभी जीवों के प्रति दयालु होना
  • प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना और सही दिनचर्या का पालन करना
  • किसी भी तरह का व्यसन न करना
  • दिन में तीन बार स्नान करना
  • पूर्वजों के प्रति सम्मान दिखाना और पिंडदान करना
  • संध्या ध्यान
  • मन में जप करना
  • जितना संभव हो सके दान करना
  • संकल्प के दायरे से बाहर न जाना
  • किसी की निंदा न करना
  • सत्संग में जाना
  • साधु-संन्यासियों की सेवा करना
  • दिन में एक बार भोजन करना
  • जमीन पर सोना
  • जप करना
  • देवी-देवताओं की पूजा करना
  • अग्नि की गर्मी न लेना

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कल्पवास से मिलते हैं ये फल

अगर आप कल्पवास व्रत रखते हैं तो आपको कई शुभ फल मिलते हैं। देवी-देवताओं के साथ-साथ आपको अपने पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आपकी बुद्धि और विवेक का भी विकास होता है और आपको कई अलौकिक अनुभव भी प्राप्त होते हैं। भक्तिभाव से कल्पवास करने वाले भक्तों के जीवन में कई तरह के चमत्कार भी देखने को मिलते हैं।

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