India News (इंडिया न्यूज), Paatal Lok: पाताल लोक भारतीय पौराणिक कथाओं और हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित सात लोकों में से एक है। प्राचीन ग्रंथों में पाताल लोक को एक रहस्यमयी और अद्भुत दुनिया के रूप में वर्णित किया गया है। इसे धरती के नीचे स्थित माना जाता है और इसे सांपों, राक्षसों और अन्य अलौकिक प्राणियों का निवास स्थान कहा जाता है। साथ ही, यह कई रहस्यमयी, दैवीय और भयावह घटनाओं से जुड़ा हुआ है। वेदों, पुराणों और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में पाताल लोक का उल्लेख किया गया है।
पाताल लोक कहां है?
पाताल लोक भौतिक रूप से धरती के नीचे सात परतों में विभाजित है। ये सात परतें इस प्रकार हैं – अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल। प्रत्येक परत में अलग-अलग दैवीय और राक्षसी जीव रहते हैं। इसे एक रहस्यमयी स्थान माना जाता है, जो इंसानों की नज़र और समझ से परे है। वासुकी नाग को पाताल लोक का शासक बताया गया है, जिसे भगवान शिव अपने गले में धारण करते हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, सूर्य की रोशनी पाताल तक नहीं पहुँचती है, लेकिन सांपों के सिर पर लगी मणियों से रोशनी होती है।
पाताल लोक में क्या होता है?
आइये जानते हैं कि पाताल लोक में होता क्या है? दरअसल इसे धरती के नीचे सांपों, राक्षसों और कई दैवीय शक्तियों का निवास स्थान कहा गया है। इसमें शेषनाग जैसे सांपों का विशेष उल्लेख है। पुराणों के अनुसार, यहां का वातावरण सोने, रत्नों और अद्भुत खजानों से भरा हुआ है। इसके अलावा पाताल लोक को लेकर कई अन्य मान्यताएं भी हैं। पहली, पाताल लोक में राक्षसों और दानवों का बोलबाला है। अहिरावण भी पातल लोक में ही रहता था। दूसरी, यहां अपार धन और वैभव का भंडार है। वहीं, पाताल लोक को नागलोक भी कहा जाता है, जहां कई शक्तिशाली सांप निवास करते हैं।
पाताल लोक का धार्मिक महत्व
पाताल लोक का उल्लेख समुद्र मंथन की कहानियों में भी मिलता है, जहां कई बहुमूल्य रत्न और चीजें प्रकट हुई थीं। भगवान विष्णु के आसन शेषनाग का भी पाताल लोक में वास माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, बुरे कर्म करने वाले प्राणियों की आत्माएं पाताल लोक में जाती हैं। पाताल लोक की अवधारणा विभिन्न संस्कृतियों में पाई जाती है, और यह अक्सर मृत्यु, भय और अज्ञात के बारे में हमारे डर को दर्शाती है।
पाताल लोक का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक विज्ञान पाताल लोक को धरती के नीचे भौगोलिक स्थान नहीं मानता, लेकिन पौराणिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह स्थान मनुष्य के लिए अज्ञात रहस्यों और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से धरती की संरचना में क्रस्ट, मेंटल और कोर शामिल हैं। पौराणिक कथाओं में पाताल लोक को धरती के नीचे बताया गया है, जो कोर के समान हो सकता है। धरती के अंदरूनी हिस्से में अत्यधिक गर्मी और दबाव होता है, जिससे ज्वालामुखी और भूतापीय गतिविधियां होती हैं। यहां पाताल लोक की अवधारणा को आग और गर्मी से जुड़े क्षेत्र के रूप में समझा जा सकता है। धरती में गहरी गुफाएं और भूमिगत जल प्रणालियां हैं। ये पाताल लोक की गुफाओं और भूमिगत नदियों की पौराणिक कहानियों को सच साबित करती हैं।
पाताल लोक से जुड़ी मान्यताएं
पाताल लोक को आत्मा और ब्रह्मांड के रहस्यों से जुड़ा माना जाता है। इसे शक्ति और अहंकार का प्रतीक माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा का संबंध पाताल लोक से भी होता है। आजकल पाताल लोक को आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक अवधारणा के रूप में देखा जाता है। इसे मानव मन की गहराइयों और अज्ञात लोकों का प्रतीक माना जाता है। गौरतलब है कि पाताल लोक एक पौराणिक अवधारणा है और इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यानी पाताल लोक हिंदू धर्म की समृद्ध पौराणिक कथाओं का एक अहम हिस्सा है, जो हमें अलौकिक और रहस्यमयी दुनिया की झलक दिखाता है।