News (इंडिया न्यूज), Waqf Amendment Bill in Lok Sabha: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा, “ऑनलाइन, ज्ञापन, अनुरोध और सुझावों के रूप में कुल 97,27,772 याचिकाएं प्राप्त हुई हैं। 284 प्रतिनिधिमंडलों ने समिति के समक्ष अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए। सरकार ने उन सभी पर सावधानीपूर्वक विचार किया है, चाहे वे जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के माध्यम से हों या सीधे दिए गए ज्ञापन।”
उन्होंने आगे कहा, “इतिहास में पहले कभी किसी विधेयक पर इतनी बड़ी संख्या में याचिकाएं नहीं आईं। कई कानूनी विशेषज्ञों, सामुदायिक नेताओं, धार्मिक नेताओं और अन्य लोगों ने समिति के समक्ष अपने सुझाव प्रस्तुत किए। पिछली बार जब हमने विधेयक पेश किया था, तब भी कई बातों का उल्लेख किया गया था। मुझे उम्मीद ही नहीं, बल्कि पूरा यकीन है कि जो लोग इसका विरोध कर रहे थे, उनका हृदय परिवर्तन होगा और वे विधेयक का समर्थन करेंगे। मैं मन की बात कहना चाहता हूं, किसी की बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए, आसमान कभी धरती का दर्द नहीं समझ सकता।’
‘वक्फ ने संसद पर भी किया था दावा’
चर्चा के दौरान किरण रिजिजू ने कहा, ‘2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड को ऐसी शक्ति दी थी कि वक्फ बोर्ड के आदेश को किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। अगर यूपीए सरकार सत्ता में होती तो संसद भवन, एयरपोर्ट समेत न जाने कितनी इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता। 2013 में मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ कि इसे जबरन कैसे पारित किया गया।’
उन्होंने कहा, ‘2013 में वक्फ एक्ट में प्रावधान जोड़े जाने के बाद 1977 से दिल्ली में एक मामला चल रहा था, जिसमें सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन समेत कई संपत्तियां शामिल थीं। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया था। मामला कोर्ट में था, लेकिन उस समय यूपीए सरकार ने सारी जमीन को डीनोटिफाई करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया। अगर आज हम यह संशोधन नहीं लाते तो जिस संसद भवन में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था।’
‘वक्फ को पहले भी अमान्य किया गया था’
उन्होंने कहा, ‘किसी ने कहा कि ये प्रावधान असंवैधानिक हैं। किसी ने कहा कि ये अवैध हैं। यह कोई नया विषय नहीं है। आजादी से पहले पहली बार विधेयक पारित किया गया था। इससे पहले वक्फ को अमान्य किया गया था। 1923 में मुस्लिम वक्फ अधिनियम लाया गया था। इस अधिनियम को पारदर्शिता और जवाबदेही के आधार पर पारित किया गया था।’
उन्होंने आगे कहा, ‘1995 में पहली बार वक्फ ट्रिब्यूनल का प्रावधान किया गया था। इससे वक्फ बोर्ड द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय से असंतुष्ट व्यक्ति इसे वक्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दे सकता था। यह पहली बार था जब ऐसी व्यवस्था स्थापित की गई थी। उस समय यह भी तय किया गया था कि अगर किसी वक्फ संपत्ति से 5 लाख रुपये से अधिक की आय होती है, तो सरकार इसकी निगरानी के लिए एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करेगी। यह व्यवस्था भी 1995 में शुरू की गई थी। आज यह मुद्दा इतना महत्वपूर्ण क्यों हो रहा है?