India News (इंडिया न्यूज), Temples of Aurangzeb and Chhatrapati Shivaji Maharaj: भारत में ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों की देखभाल के लिए सरकारी सहायता लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। हाल ही में, औरंगजेब की मजार और छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर को मिलने वाली सरकारी फंडिंग को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है।
औरंगजेब की मजार पर खर्च
सूचना का अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) ने औरंगजेब की मजार की देखरेख के लिए साल 2021-2022 में 2,55,160 रुपये खर्च किए। इसके अगले वित्तीय वर्ष, 2022-2023 में नवंबर तक, इस पर 2,00,636 रुपये खर्च किए गए। तीन सालों के भीतर, कुल मिलाकर लगभग 6.50 लाख रुपये की राशि केवल औरंगजेब की मजार की देखरेख पर खर्च की गई है। यह राशि इस बात को दर्शाती है कि सरकार ऐतिहासिक स्थलों की देखभाल को प्राथमिकता देती है, चाहे उनका धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व कुछ भी हो।
छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर के लिए मामूली फंडिंग
वहीं दूसरी ओर, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग किले में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर को मिलने वाली फंडिंग का मामला बेहद चिंताजनक है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस मंदिर के लिए प्रति महीने केवल 250 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता एक महानायक के योगदान और उनकी ऐतिहासिक महत्ता के बिल्कुल विपरीत प्रतीत होती है।
हिंदू जनजागृति संगठन का विरोध
हिंदू जनजागृति संगठन ने इस असमानता पर गंभीर आपत्ति जताई है। संगठन का कहना है कि औरंगजेब, जिनकी नीतियों को हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के लिए विनाशकारी माना जाता है, उनकी मजार पर लाखों रुपये खर्च करना तर्कसंगत नहीं है। वहीं, छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने स्वराज्य की स्थापना और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया, उनके मंदिर के लिए इतनी मामूली सहायता बेहद अनुचित है।
संगठन की मांग
संगठन ने सरकार से दो मुख्य मांगें रखी हैं:
- औरंगजेब की मजार के लिए दी जा रही सरकारी सहायता को तुरंत बंद किया जाए।
- छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर को पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ताकि उनके स्मारक का उचित रखरखाव और विकास हो सके।
ऐतिहासिक स्थलों की फंडिंग पर पुनर्विचार की आवश्यकता
यह विवाद केवल औरंगजेब की मजार और शिवाजी महाराज के मंदिर तक सीमित नहीं है। यह एक व्यापक मुद्दे को उजागर करता है कि ऐतिहासिक स्थलों की देखभाल और फंडिंग के लिए सरकार को कैसे प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए।
ऐतिहासिक स्थलों की फंडिंग को उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के आधार पर पुनः परिभाषित करना आवश्यक है। छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महान व्यक्तित्वों की विरासत को संजोने और उनके योगदान को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए सरकार को उनकी स्मारकों के लिए पर्याप्त फंडिंग सुनिश्चित करनी चाहिए।
सरकार को इस विवाद को हल करने के लिए पारदर्शी नीति अपनानी चाहिए और जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। औरंगजेब की मजार जैसे स्मारकों पर खर्च की समीक्षा और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महानायकों के स्मारकों के विकास के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इससे न केवल ऐतिहासिक स्थलों की देखभाल बेहतर होगी, बल्कि समाज में संतुलन और न्याय की भावना भी प्रबल होगी।