India News (इंडिया न्यूज), Maharaja Bhupinder Singh: महाराजा भूपिंदर सिंह, पटियाला के राजा, इतिहास में अपने विलासितापूर्ण जीवन और ऐय्याशी के लिए प्रसिद्ध थे। उनका जीवनशैली और रंगीन व्यक्तित्व न केवल उनके राज्य में बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय रहा।

लीला भवन: ऐशो-आराम का प्रतीक

महाराजा भूपिंदर सिंह ने अपनी रंगरलियों और विलासितापूर्ण जीवन के लिए विशेष रूप से एक महल बनवाया जिसे ‘लीला भवन’ नाम दिया गया। यह भवन विलासिता और भोग-विलास का अद्वितीय नमूना था।

इस महल का सबसे खास हिस्सा था ‘प्रेम मंदिर’। प्रेम मंदिर एक ऐसा कमरा था जहाँ भोग-विलास के तमाम साधन मौजूद थे। इसे महाराजा की सुख-सुविधाओं और उनकी व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इस कमरे की सजावट और संरचना उनके विलासितापूर्ण जीवन को प्रतिबिंबित करती थी।

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365 रानियां और महाराजा का अनोखा नियम

महाराजा भूपिंदर सिंह ने कई बार शादियां कीं और उनकी कुल 365 रानियां थीं। इन रानियों में से 10 को बीवी का दर्जा प्राप्त था। महाराजा ने अपनी रानियों के साथ समय बिताने के लिए एक अनोखा नियम बनाया था।

हर रानी के लिए एक अलग कमरा निर्धारित था और प्रत्येक कमरे के बाहर उनके नाम की एक लालटेन जलती थी। रात के समय, जिस रानी के नाम की लालटेन पहले बुझा दी जाती, महाराजा उसी रानी के साथ रात बिताते थे। यह नियम न केवल उनके विलासितापूर्ण जीवन को दर्शाता है बल्कि उनकी सोच और कार्यशैली की अनोखी झलक भी पेश करता है।

वंश का विस्तार

महाराजा भूपिंदर सिंह को उनकी पत्नियों और रखैलों से कुल 88 संतानें हुईं, जिनमें से 52 जीवित रहीं और वयस्क होने तक पहुंचीं। यह संख्या उस समय के लिए अत्यंत उल्लेखनीय थी और उनके वंश की वृद्धि और विस्तार का प्रतीक थी।

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चिकित्सा सुविधा

महल में रानियों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए 24 घंटे एक महिला डॉक्टर की नियुक्ति की गई थी। यह प्रथा उस समय के समाज में उनकी पत्नियों के प्रति उनकी जिम्मेदारी और भोग-विलास के साथ-साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सोच को दर्शाती है।

‘महारानी’ पुस्तक में वर्णन

2004 में प्रकाशित लूसी मूर की पुस्तक ‘महारानी’ में महाराजा भूपिंदर सिंह का जिक्र विशेष रूप से किया गया है। पुस्तक में लिखा गया कि “महाराजा नाश्ते में कुंवारी लड़कियों को पसंद करते थे।” यह कथन उनके विलासितापूर्ण और विवादास्पद जीवन की ओर इशारा करता है। महाराजा भूपिंदर सिंह का जीवन इतिहास में विलासिता और ऐय्याशी का प्रतीक है। उनकी जीवनशैली ने जहां उन्हें प्रसिद्धि दिलाई, वहीं उनके चरित्र और निर्णयों को लेकर कई सवाल भी खड़े किए। उनके समय का पटियाला राज्य न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था बल्कि उनकी विलासिता के कारण भी जाना जाता था।

महाराजा भूपिंदर सिंह का जीवन हमें उस समय की राजशाही और उनकी प्राथमिकताओं की झलक देता है। यह इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जो उनके विलासितापूर्ण जीवन के साथ-साथ उनके राज्य की समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाता है।

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