India News (इंडिया न्यूज), Maharana Amar Singh: भारतीय इतिहास में केवल युद्ध और संघर्ष ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं का भी महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसी ही घटनाओं में हिंदू राजाओं और मुस्लिम शासकों की बेटियों के बीच वैवाहिक संबंधों का उल्लेख मिलता है। इन विवाहों ने समय-समय पर सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से नए आयाम स्थापित किए। आइए, इन ऐतिहासिक घटनाओं पर एक नज़र डालते हैं।

महाराणा अमर सिंह और शहजादी खानूम का विवाह

महाराणा प्रताप के बेटे और उत्तराधिकारी महाराणा अमर सिंह 1597 से 1620 तक मेवाड़ के शासक रहे। उन्होंने मेवाड़ की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मुगलों के खिलाफ कई युद्ध लड़े। अकबर मेवाड़ को पूर्णतः जीतने में असमर्थ रहा और संधि के तहत अपनी बेटी शहजादी खानूम का विवाह महाराणा अमर सिंह से कराया। यह विवाह राजनीतिक शांति स्थापित करने का एक प्रयास था। महाराणा अमर सिंह का निधन 26 जनवरी 1620 को हुआ।

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कुंवर जगत सिंह और मरियम की कहानी

राजा मानसिंह के बेटे कुंवर जगत सिंह की शादी उड़ीसा के अफगान नवाब कुतुल खां की बेटी मरियम से हुई। इतिहासकार छाजू सिंह के अनुसार, 1590 में राजा मानसिंह ने उड़ीसा में अफगान विद्रोह को दबाने के लिए जगत सिंह के नेतृत्व में सेना भेजी थी। युद्ध में घायल होने पर मरियम ने उनकी गुप्त रूप से सेवा की और उन्हें विष्णुपुर के राजा हमीर को सौंप दिया। बाद में कुतुल खां की मृत्यु के पश्चात मरियम की सेवा से प्रभावित होकर जगत सिंह ने उनसे विवाह कर लिया। इस कहानी का उल्लेख बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘दुर्गेशनंदिनी’ में भी मिलता है।

राणा सांगा और उनकी मुस्लिम पत्नियां

मेवाड़ के महान शासक राणा सांगा ने न केवल युद्ध के मैदान में अपनी शक्ति दिखाई, बल्कि चार मुस्लिम महिलाओं से विवाह भी किया। इनमें से एक थी मेरूनीसा, जो एक मुस्लिम सेनापति की बेटी थीं। राणा सांगा ने मेवाड़ के विस्तार और राजपूताना के राजाओं को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने फरवरी 1527 में खानवा के युद्ध से पहले बयाना के युद्ध में बाबर की सेना को हराया। राणा सांगा का निधन 30 जनवरी 1528 को हुआ।

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महाराणा कुंभा और वजीर खां की बेटी

महाराणा कुंभा, जो अपने समय के अपराजेय योद्धा माने जाते हैं, ने जागीरदार वजीर खां की बेटी से विवाह किया। उन्होंने मालवा के सुलतान महमूद खिलजी को 1437 में सारंगपुर के पास हराया और विजय स्मारक के तौर पर चित्तौड़ का विजय स्तंभ बनवाया। कुंभा ने सात वर्षों में कई किलों को जीता और अपनी सैन्य शक्ति को सुदृढ़ किया।

बप्पा रावल और गजनी की नवाब की बेटी

मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल, जिन्हें ‘फादर ऑफ रावलपिंडी’ के नाम से भी जाना जाता है, ने गजनी के नवाब की बेटी से विवाह किया। 728 से 753 तक मेवाड़ पर शासन करने वाले बप्पा रावल ने गुहिल वंश की नींव डाली, जो आगे चलकर सिसोदिया वंश के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

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राजा छत्रसाल और रूहानी बाई

बुंदेला राजपूत योद्धा राजा छत्रसाल ने हैदराबाद के निजाम की बेटी रूहानी बाई से विवाह किया। उन्होंने औरंगजेब को हराकर बुंदेलखंड में स्वतंत्र राज्य स्थापित किया। उनका जीवन मुगलों के खिलाफ संघर्ष और बुंदेलखंड की स्वतंत्रता बनाए रखने में समर्पित रहा।

इन विवाहों ने हिंदू और मुस्लिम शासकों के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया। यह घटनाएं न केवल सामाजिक सहिष्णुता का प्रतीक हैं, बल्कि राजनीतिक गठबंधनों की आवश्यकता को भी दर्शाती हैं। भारतीय इतिहास में ऐसी घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि सांस्कृतिक विविधता और आपसी सहयोग से एक बेहतर समाज का निर्माण संभव है।

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