India News (इंडिया न्यूज), Mughal Princess Married a Hindu King: भारतीय इतिहास में कई उदाहरण मिलते हैं जब हिंदू और मुस्लिम शासकों के बीच धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर रिश्तों की स्थापना हुई। खासकर मुगलों और राजपूतों के बीच हुई राजनीतिक और सामाजिक गठबंधनों के उदाहरण इस बात का प्रमाण हैं कि युद्धों के अलावा, कई बार शादी के रिश्तों के माध्यम से दोनों पक्षों ने शांति स्थापित करने का प्रयास किया।

अकबर की धार्मिक नीति और हिंदू मुस्लिम विवाह

मुगल सम्राट अकबर ने अपनी धार्मिक नीति में हिंदुओं के प्रति उदारता और सहिष्णुता का परिचय दिया। उन्होंने अपने शासन में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया और हिंदुओं को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता दी। अकबर ने हिंदू राजकुमारियों से विवाह किए, जिनमें से जोधाबाई उनकी प्रमुख रानी मानी जाती हैं। अकबर का यह कदम केवल राजनीतिक गठबंधन नहीं था, बल्कि उसने भारतीय समाज में धार्मिक तटस्थता की मिसाल पेश की।

अकबर ने अपनी बेटी, शहजादी खानम बेगम की शादी मेवाड़ के शासक महाराणा अमर सिंह से की। इस शादी को एक संधि के रूप में देखा जाता है, क्योंकि अकबर ने मेवाड़ को जीतने में असफल होने के बाद इसे एक राजनीतिक समझौते के रूप में स्थापित किया। अमर सिंह ने कई युद्धों में मुगलों को हराया था, और अकबर को मजबूर होकर अपनी बेटी का विवाह इस शाही परिवार से करना पड़ा।

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राजपूतों और मुस्लिम राजकुमारियों के विवाह

इतिहास में कई उदाहरण मिलते हैं जब राजपूतों ने मुस्लिम राजकुमारियों से विवाह किए। एक उदाहरण है आमेर के राजा मानसिंह का पुत्र कुंवर जगत सिंह, जिनकी शादी उड़ीसा के अफगान सूबेदार कुतुल खां की बेटी मरियम से हुई। कुंवर जगत सिंह युद्ध में घायल हो गए थे और मरियम ने उन्हें गुप्त रूप से अपनी देखरेख में रखा। समय के साथ, कुतुल खां की मृत्यु के बाद, कुंवर जगत सिंह ने मरियम से विवाह किया।

राणा सांगा और उनकी मुस्लिम पत्नियाँ

मेवाड़ के प्रसिद्ध शासक राणा सांगा ने अपनी राजनीतिक मजबूरियों और युद्धों के दौरान कई मुस्लिम राजकुमारियों से विवाह किए। राणा सांगा ने मुस्लिम सेनापति की बेटी मेहरुन्निसा से शादी की और उनके अलावा तीन अन्य मुस्लिम लड़कियों से भी विवाह किए। राणा सांगा के शासनकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया और मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया। उनकी मृत्यु 1528 में हुई, लेकिन उनका नाम भारतीय इतिहास में वीरता और साहस के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।

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महाराणा कुंभा और वजीर खां की बेटी

महाराणा कुंभा, जो चित्तौड़गढ़ के प्रसिद्ध शासक थे, ने जागीरदार वजीर खां की बेटी से शादी की थी। उन्होंने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण युद्धों में विजय प्राप्त की, जिनमें से सबसे प्रमुख मालवा के सुलतान महमूद खिलजी को हराना था। कुंभा की इस शादी को भी राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह शक्ति के एकीकरण का प्रतीक था।

छत्रसाल और निजाम की बेटी से विवाह

राजा छत्रसाल, जो बुंदेलखंड के एक महान शासक थे, ने हैदराबाद के निजाम की बेटी रूहानी बाई से विवाह किया। छत्रसाल ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया और अपने राज्य को स्वतंत्र बनाए रखा। उनकी इस शादी का ऐतिहासिक महत्व भी था, क्योंकि यह राजनैतिक रणनीति और शांति की ओर एक कदम था।

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बप्पा रावल और गजनी के शासक की बेटी

इतिहास में एक और दिलचस्प विवाह का उल्लेख मिलता है, जो बप्पा रावल और गजनी के मुस्लिम शासक की बेटी के बीच हुआ। बप्पा रावल को मेवाड़ का संस्थापक माना जाता है और उन्होंने गजनी के शासक की बेटी से विवाह किया था। यह विवाह न केवल एक राजनीतिक गठबंधन था, बल्कि मेवाड़ के इतिहास में महत्वपूर्ण था।

इन विवाहों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय इतिहास में हिंदू और मुस्लिम शासकों के बीच केवल संघर्ष नहीं था, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सौहार्द की भी मिसालें थीं। इन शादियों ने केवल राजनीतिक गठबंधन नहीं बनाए, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे दोनों समुदायों ने एक दूसरे के साथ सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते बनाए, जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण पहलू था।

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