India News (इंडिया न्यूज), History Of Mughals: भारतीय इतिहास में मुग़ल शासकों को महान बताने की कोशिशें की गई हैं, लेकिन हमें यह कभी नहीं बताया गया कि इन शासकों ने हिंदुओं के साथ कितनी क्रूरता और अत्याचार किए। विशेष रूप से कुतुबुद्दीन ऐबक, जो कि दिल्ली का पहला सुलतान था, ने हिंदू समाज पर जो जुल्म किए, उनके बारे में मुस्लिम इतिहासकारों द्वारा लिखी गई किताबों में विस्तार से उल्लेख मिलता है। यह लेख कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा किए गए अत्याचारों का खुलासा करता है, जिसे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
चील और कौवों को खिलाई गई लाशें (1193)
1193 में अलीगढ़ के पास हिंदुओं के विद्रोह के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक क्रूर और बर्बर तरीका अपनाया। विद्रोह को कुचलने के लिए कुतुबुद्दीन ने हजारों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया। इन मौतों के बाद कुतुबुद्दीन ने नरमुंडों का उपयोग करके चील और कौवों को लाशें खिलाई। यह एक भयावह और अमानवीय कृत्य था, जिसका उद्देश्य हिंदुओं को डराना और उनकी धार्मिक आस्थाओं का अपमान करना था।
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नर्मुंडों की विशाल मीनार (1197)
1197 में माउंट आबू के पास राजा राय कर्ण के नेतृत्व में लड़ने वाले हिंदू सैनिकों को हराकर कुतुबुद्दीन ने 50,000 से ज्यादा हिंदुओं को मार डाला। इन मरे हुए लोगों के नरमुंडों से एक विशाल मीनार बनाई गई, जो इतनी ऊंची थी कि वह पहाड़ की चोटी तक पहुंच गई। यह नरकृती मीनार एक भयावह संदेश देती थी – ‘हिंदुओं को अपनी जगह पर रहना होगा, नहीं तो उनके साथ यही किया जाएगा।’ यह क्रूरता और हिंसा हिंदू समाज के खिलाफ एक गंभीर चेतावनी थी।
काफिरों को डराने की नीति
कुतुबुद्दीन ऐबक और अन्य मुस्लिम शासक हिंदुओं के साथ अत्याचार करते हुए उन्हें डराने के लिए नरमुंडों की दीवारें बनवाते थे। उनका यह उद्देश्य था कि हिंदू समाज को यह एहसास हो कि अगर वे मुगलों के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करें तो उन्हें भी यही दर्दनाक मौत मिलेगी। इस तरह की क्रूरता का परिणाम यह था कि हिंदू समाज लंबे समय तक डर और भय में जीता रहा।
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इतिहास में अत्याचारों की गाथा
कुतुबुद्दीन के द्वारा किए गए इन अत्याचारों का विवरण ‘ताज-उल-मासिर’ नामक पुस्तक में मिलता है, जिसमें भारतीय इतिहास के इस काले पहलू को उजागर किया गया है। यह पुस्तक उन समय के मुस्लिम इतिहासकारों द्वारा लिखी गई है, जिन्होंने इन घटनाओं का साक्षात्कार किया और उन्हें दस्तावेजित किया। कुतुबुद्दीन के अत्याचारों का मकसद सिर्फ हिंदू समाज को नीचा दिखाना और उसे तोड़ना था।
कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय है, जहां हिंदू समाज को जुल्म और अत्याचार का सामना करना पड़ा। उनकी क्रूरता और हिंसा ने भारतीय समाज को न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक रूप से भी गहरा घाव दिया। हमें इस इतिहास को जानकर, इसे सही तरीके से समझकर आने वाली पीढ़ियों को यह बताना होगा कि हमारे पूर्वजों ने कितने बड़े संघर्षों का सामना किया। यह जानकारी हमें न केवल अपने इतिहास को समझने में मदद करती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि हमें अपने देश की सांस्कृतिक धरोहर और गौरव की रक्षा के लिए हमेशा सजग रहना चाहिए।
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