India News (इंडिया न्यूज), The Story of Taimur: तैमूर, जिसे ‘तैमूर लंग’ भी कहा जाता है, एक मंगोल शासक था, जिसने अपनी शक्ति और क्रूरता के लिए इतिहास में ख्याति अर्जित की। तैमूर का जन्म 1336 ईस्वी में ट्रांस-आक्सियाना के क्षेत्र मावराउन्नहर के शहर-ए-सब्ज (वर्तमान उज़्बेकिस्तान) में हुआ था। उसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य अपने पूर्वज चंगेज़ खान की तरह एशिया और यूरोप पर विजय प्राप्त करना था। हालांकि, चंगेज़ खान जहां एक विशाल साम्राज्य स्थापित करना चाहता था, वहीं तैमूर का मकसद केवल दहशत फैलाना और अपनी ताकत का प्रदर्शन करना था।
भारत पर तैमूर का आक्रमण
14वीं शताब्दी में भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। इसकी समृद्धि और वैभव ने तैमूर को भारत पर हमला करने के लिए प्रेरित किया। उसका उद्देश्य दिल्ली की दौलत लूटकर अपने खजाने को भरना था। उस समय दिल्ली के सुल्तान नसीरूद्दीन महमूद तुगलक के पास एक शक्तिशाली सेना थी, लेकिन तैमूर के आक्रमण के सामने वह टिक नहीं सका।
हमला और क्रूरता की शुरुआत
तैमूर की मंगोल सेना ने सिंधु नदी पार कर भारत में प्रवेश किया। मार्ग में उसने असपंदी नामक गांव में डेरा डाला, जहां उसने घरों को जलाने और निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करने का आदेश दिया। हरियाणा और पानीपत के रास्ते दिल्ली की ओर बढ़ते हुए उसने हजारों हिंदुओं को बंदी बना लिया। दिल्ली पर आक्रमण करने से पहले उसने लगभग एक लाख हिंदू कैदियों को कत्ल करने का आदेश दिया।
लोनी के किले पर राजपूतों ने तैमूर का डटकर सामना किया, लेकिन वे उसे रोकने में असफल रहे। दिल्ली में प्रवेश करने के बाद तैमूर ने नसीरूद्दीन महमूद को हराकर राजधानी पर कब्जा कर लिया। महमूद डर के कारण जंगलों में छिप गया।
दिल्ली में नरसंहार
दिल्ली में तैमूर की सेना ने आतंक का नंगा नाच किया। महिलाओं के साथ अत्याचार और लूटपाट का विरोध करने वालों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। तैमूर ने केवल 15 दिन दिल्ली में बिताए, लेकिन इन दिनों में उसने अनगिनत लोगों की जान ली और शहर को तहस-नहस कर दिया।
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मेरठ में नरसंहार
दिल्ली से लौटते समय तैमूर मेरठ पहुंचा। यहां के किलेदार इलियास ने उसका विरोध किया, लेकिन वह पराजित हुआ। तैमूर ने मेरठ में भी भयंकर नरसंहार किया और लगभग 30,000 हिंदुओं की हत्या कर दी। इस पूरी विध्वंस यात्रा में तैमूर ने केवल तीन महीने में लाखों निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया।
तैमूर का उत्तराधिकार
तैमूर का अभियान केवल लूटपाट और विध्वंस तक सीमित था। उसने कोई स्थायी साम्राज्य स्थापित नहीं किया। भारत में उसके हमले के बाद देश को लंबे समय तक सामाजिक और आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। तैमूर 1405 में उज़्बेकिस्तान लौटते समय मर गया। उसकी मृत्यु के बाद उसकी वंशावली ने ‘मुगल साम्राज्य’ की स्थापना की, जिसने बाद में भारत पर कई शताब्दियों तक शासन किया।
तैमूर का नाम इतिहास में क्रूरता और विनाश के प्रतीक के रूप में दर्ज है। उसका आक्रमण भारत की समृद्धि को छीनने और निर्दोष लोगों पर अत्याचार करने का घिनौना उदाहरण है। तैमूर ने अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए मानवता को कुचला, लेकिन उसका शासन क्षणभंगुर था। उसकी क्रूरता आज भी इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है।