India News (इंडिया न्यूज़), Why is First Night After Marriage Called Suhagraat: इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है। हर कोई अपनी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करता नजर आ रहा है। हमारे समाज में विवाह का महत्वपूर्ण स्थान है। इसे सभी धर्मों में महत्वपूर्ण माना जाता है और सभी धर्मों और संप्रदायों में इसे अलग-अलग रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों के साथ किया जाता है। हिंदू धर्म में विवाह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं, जिनमें जय माल, सिंदूर दान, सात फेरे, कन्यादान, गठबंधन आदि शामिल हैं। शादी के दौरान और उसके बाद निभाई जाने वाली सभी रस्मों का अपना महत्व और नाम होता है। आमतौर पर लोग इससे जुड़ी सभी रस्मों के बारे में जानते हैं और सुहागरात उनमें से एक है।

इसे नवविवाहित जोड़ों के लिए भी बहुत खास माना जाता है। शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन की यह पहली रात होती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शादी की पहली रात को सुहागरात क्यों कहा जाता है। तो यहां जान लें इसके पीछे की वजह और सुहागरात शब्द के पीछे की कहानी।

क्या है सुहागरात का महत्व?

शादी के बाद भी पहली रात नए जोड़े के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह वह समय होता है जब पति-पत्नी अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत करते हैं। इसलिए शादी के बाद इसे एक महत्वपूर्ण रस्म माना जाता है। हालाँकि, इस रस्म का नाम सुनते ही लोग अक्सर झिझकने लगते हैं और आज भी इस पर बात करने से कतराते हैं, लेकिन यह रस्म कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

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पहली रात को सुहागरात क्यों कहते हैं?

अगर सुहागरात की बात करें तो यह शब्द संस्कृत के सौभाग्य शब्द से जुड़ा है। माना जाता है कि सुहाग की उत्पत्ति सौभाग्य से हुई है। सुहाग और सुहागन दोनों ही शब्द विवाहित महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सुहाग का मतलब है कि पति के सौभाग्य को बढ़ाने के लिए महिला को सुहाग के प्रतीक जैसे सिंदूर, चूड़ियां, पायल, बिछिया, मंगलसूत्र आदि पहनाए जाते हैं। ऐसे में सुहागन बनने के बाद शादी की पहली रात को सुहागरात कहा जाता है। सरल भाषा में कहें तो सुहागन बनने के बाद महिला की शादी की पहली रात को सुहागरात कहा जाता है।