समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. वे पिछले कुछ दिनों से हरियाण के गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती थे. ऐसे में आज हम आपको उनके उस सफर की कहानी बताने जा रहे हैं जो शायद उनके जीवन के सबसे खास पल होंगे।

तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं नेता जी

एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में शुरू किया। मुलायम सिंह यादव को उत्तर प्रदेश के सबसे ताकतवर राजनीतिक के तौर पर भी जाना जाता है। बहुत कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा था। खास बात ये है कि वे तीन बार क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज का सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान है। उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान किया।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव का आगमन

2012 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला। यह पहली बार हुआ था कि उत्तर प्रदेश में सपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में थी। नेता जी के पुत्र और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया और प्रदेश के सामने विकास का एजेंडा रखा। अखिलेश यादव के विकास के वादों से प्रभावित होकर पूरे प्रदेश में उनको व्यापक जनसमर्थन मिला। चुनाव के बाद नेतृत्व का सवाल उठा तो वरिष्ठ साथियों के विमर्श के बाद नेताजी ने बेटे अखि‍लेश को सूबे के सीएम की कुर्सी सौंप दी और समाजवादी पार्टी में दूसरी पीढ़ी ने दस्तक दी। अखिलेश यादव ने नेता जी के बताए गये रास्ते पर चलते हुए उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया। गौरतलब है 2017 के बाद अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के रिश्ते में खटास देखने को मिला है।

प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए थे नेता जी

समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के इरादे से मुलायम ने केंद्र की राजनीति का रुख किया। 1996 में मुलायम सिंह यादव 11वीं लोकसभा के लिए मैनपुरी सीट से चुने गए। उस समय केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी तो उसमें मुलायम भी शामिल थे। मुलायम देश के रक्षामंत्री बने थे। हालांकि, यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, लेकिन वहां से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।