Achievements of Lata Mangeshkar
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Achievements of Lata Mangeshkar : यूं तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पिछले बहुत से कलाकार हुए। एक से बढ़कर एक अभिनेता, अभिनेत्रियां, गीतकार, गायक- गायिकाएं, कॉरियोग्राफर, आर्ट डायरेक्टर, निर्देशक ने इस इंडस्ट्री को जो दिया, वो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए किसी धरोहर से कम नहीं। इन सबके बीच जब भी आज भी हमारे देश में किसी गायक-गायिका का जिक्र होता है, तो उसमें स्वर कोकिला लता मंगेशकर का नाम सहसम्मान के साथ लिया जाता है। आइए जानते हैं इस आलेख में उनके जीवन के कुछ अहम किस्सों के बारे में।
संगीत के साथ खाना पकाना और फोटो खींचने की हैं शौकीन
लता मंगेशकर फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला हैं जिन्हें भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है। इतना ही नहीं उनके अलावा यह सम्मान पाने का सौभाग्य सत्यजीत रे को ही मिल सका। इसी क्रम में वर्ष 1974 में लंदन के सुप्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में उन्हें पहली भारतीय गायिका के रूप में गाने का अवसर प्राप्त है।(Mangeshkar family)
Lata Mangeshkar
बताया जाता है कि लता मंगेशकर को संगीत के अलावा खाना पकाने और फोटो खींचने का बहुत शौक है। कहते हैं लता मंगेशकर जब भी गाने की रिकॉर्डिंग के लिये जाती हैं तो जाने से पहले वे कमरे के बाहर अपनी चप्पलें उतारती हैं। वे हमेशा नंगे पांव गाना गाती हैं।
मोहम्मद रफी से हो गई थी अनबन
बताया जाता है कि लता मंगेशकर को लेकर एक बात चर्चा में हमेशा रहती है कि उनकी एक बार उनके सहकर्मी और मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी के साथ बोलचाल बंद हो गई थी। आपको बता दें कि एक समय था जब लता मंगेशकर गानों पर रॉयल्टी की पक्षधर थीं, जबकि मोहममद रफी ने कभी भी रॉयल्टी की मांग नहीं की। उनके इस कदम से सभी गायकों को धक्का पहुंचा। (Achievements of Lata Mangeshkar)
Lata Mangeshkar Mohammad Rafi
लता और मुकेश ने रफी को बुलाकर समझाना चाहा लेकिन मामला उलझता ही चला गया। दोनों का विवाद इतना बढ़ा कि मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर के बीच बातचीत तक बंद हो गई और दोनों ने एक साथ गाना गाने से मना कर दिया था। हालांकि चार वर्ष के बाद अभिनेत्री नरगिस के प्रयास से दोनों ने एक साथ एक कार्यक्रम में ‘दिल पुकारे, आ रे आरे आरे, अभी न जा मेरे साथी’ गीत गाया था।
यूं हुई लता दीदी की किशोर दा से मुलाकात
लता मंगेशकर (लता दीदी) ने अपने करियर में कई मशहूर गाने किशोर कुमार के साथ मिलकर गाए। इन दोनों दिग्गज गायकों की पहली मुलाकात का किस्सा भी बड़ा अजीब रहा है। असल में 40 के दशक में लता मंगेशकर ने फिल्मों में गाना शुरू किया था। तब वो लोकल ट्रेन पकड़कर स्टूडियो पहुंचती थीं।
Lata Mangeshkar Kishore Da
कहते हैं कि किशोर कुमार से उनकी मुलाकात उस समय हुई थी, जब वह संगीतकार खेमचंद प्रकाशजी के साथ काम कर रही थीं। वह ग्रांट रोड से मालाड तक ट्रेन से जाती थीं। एक दिन किशोर दा महालक्ष्मी स्टेशन (जो कि ग्रांट रोड के बाद का स्टेशन था) से लोकल ट्रेन में उनके कंपार्टमेंट में चढ़े। लता मंगेशकर को लगा कि वो उनको पहचानती तो हैं, मगर कौन हैं। वह कुर्ता-पायजामा पहने थे। गले में स्कार्फ बांधे और हाथ में एक छड़ी थी। (Lata Mangeshkar latest News)
स्टेशन से बांबे टॉकीज का आफिस दूर था। वो कभी पैदल तो कभी तांगा लेती थीं। उस लता दिन मंगेशकर ने तांगा लिया। उन्होंने देखा कि किशोर कुमार का तांगा उनके तांगे के पीछे था। उनको लगा कि कुछ असामान्य हो रहा है। वह व्यक्ति उनके पीछे आ रहा था। वो सीधे रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचीं। जहां संगीतकार खेमचंद प्रकाश बैठे हुए थे। लता जी ने हाफंते हुए पूछा वह लड़का कौन है? वो मेरा पीछा कर रहा है। खेमचंदजी ने किशोर कुमार को देखा और हंसते हुए कहा कि यह किशोर कुमार हैं अभिनेता अशोक कुमार के भाई।
Lata Mangeshkar
इसके बाद खेमचंद प्रकाश ने लता मंगेशकर और किशोर कुमार का आपस में परिचय करवाया। इसके बाद उन्होंने अपना पहला युगल गाना फिल्म ‘जिद्दी’ के लिए ‘ये कौन आया रे करके सोलह सिंगार’ रिकॉर्ड किया। प्लेबैक सिंगर के रूप में ‘जिद्दी’ किशोर दा की पहली फिल्म थी। यह फिल्म इसलिए प्रसिद्ध हुई थी, क्योंकि इससे देव आनंद स्टार बने थे। देव साहब के लिए किशोर कुमार ने बहुत सारी फिल्मों में गाना गाया था।
एक माइक पर, एक टेक में गाते थे गायक, गायिका
असल में 40 के दशक में गायकों को अमूमन गाने के लिए एक ही माइक मिलता था और गायक, गायिका माइक के आमने-सामने खड़े हो जाते थे और फिर गाना गाते थे। एक साक्षात्कार में लता मंगेशकर का कहना था कि ऐसी स्थिति में मैं माइक के सामने खड़ी होती थी और दूसरे गायक मेरे पास खड़े रहते थे। हम दोनों के बीच थोड़ी जगह छोड़कर।
मुझे हेमंत कुमार के साथ गाने में बहुत परेशानी होती थी, क्योंकि वह मुझसे बहुत लंबे थे। उनके साथ गाने के लिए मुझे एक छोटे से बक्से या तिपाई की जरूरत पड़ती थी। उन्होंने बताया कि तब गाना एक ही टेक में पूरा करना पड़ता था। क्योंकि तकनीक आज की तरह की नहीं थी। ऐसे में अगर कोई गाना बीच में गलत कर दे तो पूरा गाना दोबारा से गाना पड़ता था। ऐसे में शुरूआती दौर में एक गाने के लिए 20-30 टेक तक हो जाते थे।
लता दीदी ने फिल्म ‘किस्मत’ को 50 से अधिक बार देखा (Which Movie did Lata Mangeshkar Watch Most Times)
अगर लता मंगेशकर के करियर की बात करें तो वर्ष 1942 में उन्होंने एक मराठी फिल्म में अभिनय भी किया था। उन्हें बॉलीवुड की फिल्मों में त्रिशूल, शोले, सीता और गीता, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे और मधुमती पसंद आती है। लेकिन उनकी मोस्ट फेवरेट फिल्म द किंग एंड आई है। इसके साथ ही वर्ष 1943 में प्रदर्शित फिल्म ‘किस्मत’ उन्हें इतनी पसंद है कि वह इस फिल्म को अब तक 50 से ज्यादा बार देख चुकी हैं। (Lata Mangeshkar Sisters)
कितने मिले पुरस्कार (How many Awards has Lata Mangeshkar Received)
- 1958, 1962, 1965, 1969, 1993, 1994 फिल्म फेर पुरस्कार से नवाजी गई ।
- 1972, 1975, 1990 राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुर्इं।
- 1966, 1967 महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार मिला।
- 1969, पदम भूषण से सम्मानित हुई।
- 1974, दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड दर्ज हुआ।
- 1989, दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला।
- 1993, फिल्म फेर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला।
- 1996, स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त किया।
- 1997, राजीव गान्धी पुरस्कार मिला।
- 1999, एनटीआर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 1999, पदम विभूषण पुरस्कार मिला।
- 1999, जी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
- 2000, आईआईएएफ का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
- 2001, स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
- 2001, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
- 2001, नूरजहां पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 2001, महाराष्ट्र भूषण से सम्मानित हुईं।
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