इंडिया न्यूज, Health Tips in Hindi: कई बार देखने को मिलता है कि लोग तनाव और नकारात्मकता से निकलने के लिए खाने को सबसे अच्छा जरिया मान बैठते हैं। तनाव हुआ नहीं कि उन्हें कुछ खास चीज खाने की क्रेविंग होने लगती है। ऐसे में वे या तो ऑनलाइन पिज्जा या कोई फेवरेड डिश ऑर्डर करते हैं या फ्रिज में आइसक्रीम, चॉकलेट आदि खंगालने लगते हैं। लेकिन ये सब खाने के बावजूद भी आत्मसंतुष्टी नहीं होती और फिर पछतावा का दौर शुरू हो जाता है। दरअसल इसे दूसरी भाषा में कहें तो ये ही इमोशनल ईटिंग के लक्षण हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता है।
इमोशनल ईटिंग के लक्षण क्या हैं?
पेट भरा है लेकिन मीठा या चटपटा खाने की जबरदस्त इच्छा होना। सामान्य भोजन से संतुष्टि नहीं मिलती और बार-बार जंक फूड की तरफ ध्यान जाता है। खाने में कोई संतुलन नहीं होता, बहुत ज्यादा खा लिया जाता है। खाने के बाद पश्चाताप होता है। अधिक भोजन करने के कारण घबराहट होती है व मन अशांत रहता है। भोजन करने के दौरान पता ही नहीं होता कि क्यों खा रहे हैं। सब कुछ जानते हुए कि जंक फूड नुकसान करता है, बस खाते चले जाते हैं।
महिलाएं क्यों हैं इसका शिकार?
पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही तनाव होता है लेकिन महिलाओं में इमोशनल ईटिंग की समस्या अधिक देखने को मिलती है। महिलाएं गुस्से या चिड़चिड़ाहट के कारण अधिक भोजन करके खुद को शांत करना चाहती हैं। भावनात्मक रूप से कमजोर होने या तनाव लेने से कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हॉर्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे अधिक क्रेविंग हो सकती है और यह इमोशनल ईटिंग को बढ़ा सकता है। हालांकि वास्तविक भूख और इमोशनल ईटिंग के बीच के अंतर को समझ पाना मुश्किल है।
बीमारी से निकलने के उपाए?
नियमित रूप से व्यायाम करें। इससे तनाव से राहत मिलेगी। तनाव के दौरान कुछ खाने का मन कर तो फल, सब्जियों का रस, सलाद, सूखे मेवे आदि का सेवन करें। ये सेहतमंद तो होते ही हैं साथ ही तनाव कम करने में मदद भी करते हैं। इनके सेवन की आदत धीरे-धीरे ही डलेगी। खाने का रुटीन बनाएं। जब कभी इमोशनल ईटिंग की जरूरत महसूस हो, तो अपने वजन और डाइट को याद करें। मन किसी काम या शौक में लगाएं, जैसे पुस्तक पढ़ना, टहलना, बागवानी आदि। इमोशनल ईटिंग को रोकने या नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञ की मदद भी ले सकते हैं।