इंडिया न्यूज, बेंगलुरु:

Hijab Controversy : हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। सुनवाई से पहले इस विवाद में नया मोड़ देखने को मिला, जब याचिकाकर्ता छह मुस्लिम छात्राओं ने एक नई याचिका दायर की।

राजनीतिक रंग देने की कोशिश (Hijab Controversy)

इसमें कहा गया है कि कुछ राज्यों में चुनाव होने हैं। इसलिए इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। जिससे इसका राजनीतिक लाभ उठाया जा सकें। राजनीति के लिए छात्राओं को भी प्रताड़ित किया जा रहा है।

वरिष्ट वकील ने दक्षिण अफ्रीका के फैसले का किया उल्लेख

याचिकाकर्ता छात्राओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने अदालत के सामने दक्षिण अफ्रीका की एक अदालत के फैसले का उल्लेख किया। जिसमें उन्होंने बताया कि क्या दक्षिण भारत से संबंध रखने वाली एक हिंदू लड़की क्या स्कूल में नोज रिंग पहन सकती है।  इस पर दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अगर ऐसे छात्र-छात्राएं और हैं जो अपने धर्म या संस्कृति को व्यक्त करने से डर रहे हैं तो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह जश्न मनाने की चीज है न कि डरने की बात है।

धर्म और संस्कृति विविधता का है उत्सव (Hijab Controversy)

कामत ने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म और संस्कृति का सार्वजनिक प्रदर्शन विविधता का एक उत्सव है जो हमारे स्कूलों को समृद्ध करता है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि हमारा संविधान सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता का पालन करता है न कि तुर्की की तरह जो नकारात्मक धर्मनिरपेक्ष है। उन्होंने कहा कि हमारी धर्मनिरपेक्षता सभी लोगों के धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। Hijab Controversy

इससे पहले सोमवार को सुनवाई के दौरान इन छात्राओं ने हाईकोर्ट से कहा था कि मुस्लिम छात्राओं को स्कूल की यूनिफॉर्म के रंग से मेल खाता हुआ हिजाब पहनने की अनुमति दी जाएं। ये छात्राएं उडुपी के प्री यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेज की हैं। छात्राओं का कहना है कि हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा है और इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। केंद्रीय स्कूलों में भी यूनिफॉर्म के रंग का हिजाब पहनने की अनुमति होती है।

छात्राओं ने परीक्षाओं का किया बहिष्कार (Hijab Controversy)

इस विवाद के बीच राज्य में कुछ स्थानों पर लड़कियों ने प्री परीक्षा का बहिष्कार कर दिया है। वहीं कुछ स्थानों पर अभिभावक ही बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे है। शिवमोग्गा शहर के कर्नाटक पब्लिक स्कूल में कई छात्राओं ने कक्षा 10वीं की प्रारंभिक परीक्षा का बहिष्कार कर दिया है। स्कूल की एक छात्रा हिना कौसर ने बताया कि मुझे स्कूल में प्रवेश करने से पहले हिजाब हटाने के लिए कहा गया था। इसलिए मैंने परीक्षा में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।

सभी छात्र-छात्राओं के लिए कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य

कर्नाटक सरकार ने फरवरी की शुरूआत में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 की धारा 133(2) लागू कर दी थी। इसके तहत सभी छात्र-छात्राओं के लिए कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। यह आदेश सरकारी और निजी, दोनों कॉलेजों पर लागू किया गया है। मुस्लिम छात्राओं के साथ-साथ कई राजनीतिक दलों ने भी राज्य सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। फिलहाल इस मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई की जा रही है।

Read More: Russia May Attack Ukraine यूरोपियन देशों ने रूस को दी चेतावनी हमला किया तो लगा देंगे कड़े प्रतिबंध

Connect With Us : Twitter Facebook

https://latest.indianews.in/national/russia-ukraine-war-can-start-at-any-time/