India News (इंडिया न्यूज़), Rimi Sen on Bollywood: एक्ट्रेस रिमी सेन (Rimi Sen) ने साल 2003 में अक्षय खन्ना, परेश रावल और आफ़ताब शिवदासानी के साथ फ़िल्म हंगामा से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। कॉमेडी-ड्रामा सुपरहिट रही, जिसने रिमी को रातों-रात मशहूर बना दिया। इसके बाद उन्होंने बागबान, गरम मसाला और फिर हेरा फेरी सहित कई सफल फ़िल्मों में काम किया, लेकिन 2011 में वो गायब हो गईं। रिमी सेन ने अब एक इंटरव्यू में अपनी अनुपस्थिति को सही ठहराया है।
रिमी सेन ने कॉमेडी फ़िल्मों में काम करने को लेकर कही ये बात
आपको बता दें कि एक्ट्रेस रिमी सेन ने बताया कि इंडस्ट्री में उनके लिए ज़्यादा भूमिकाएँ नहीं थीं। उन्होंने कहा, “मेरा सिर्फ़ फ़र्नीचर रोल होता था। मुझे हंगामा और जॉनी गद्दार (2007) जैसी कुछ ही फ़िल्मों में अच्छी भूमिकाएँ मिलीं। बाद वाली फ़िल्में नहीं चलीं और मैं इसी तरह का काम करना चाहती थी।” दरअसल, रिमी ने 2015 में बिग बॉस 9 के साथ अपने करियर को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की और 13वें स्थान पर बाहर हो गईं। बाद में उन्होंने कबूल किया कि उन्होंने यह विवादित शो सिर्फ़ पैसे के लिए किया था और घर में सिर्फ़ 49 दिनों के लिए सेन को निर्माताओं ने लगभग 2.25 करोड़ का भुगतान किया था।
इसके कुछ महीनों के भीतर, रिमी सेन ने झलक दिखला जा 9 में वाइल्ड कार्ड के तौर पर हाथ आजमाया, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। यह आखिरी बार था कि जब उन्होंने शोबिज में लाइमलाइट बटोरने की कोशिश की। अक्षय कुमार और अजय देवगन जैसे दिग्गजों के साथ अभिनय करने के बाद, सेन ने कबूल किया कि वह फिल्म इंडस्ट्री से किसी के संपर्क में नहीं हैं।
इस पर रिमी सेन ने कहा, “मैं किसी से मदद नहीं मांग सकती। जब तक गिड़गिड़ाओ नहीं, मदद नहीं मिलती है।” उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार किया कि लोग किसी की मदद करने के लिए अपनी राह से बाहर नहीं निकलेंगे।
रिमी सेन ने अपनी ब्रांड वैल्यू को लेकर बताया
रिमी सेन का मानना है कि इस इंडस्ट्री में दांव वाकई बहुत ऊंचे हैं। जबकि प्रतिभा बाद में आती है, लोगों को संभालने का तरीका जानने की कला सबसे आगे होती है। रिमी ने आगे कहा, “वरना, कुछ नहीं हो सकता, प्रतिभा स्टोर रूम में रहेगी। मुझे नहीं आता था बेचना, पीआर करना।”
रिमी सेन का वर्कफ्रंट
रिमी सेन के वर्कफ्रंट की बात करें तो एक्ट्रेस के पास अभी कोई प्रोजेक्ट नहीं है और उनकी आखिरी उपलब्धि साल 2016 में आई थी, जब उन्होंने बुधिया सिंह: बॉर्न टू रन का सह-निर्माण किया था, जिसने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।