India News (इंडिया न्यूज़), Dharamveer Sinha, Jharkhand News: झारखंड के बोकारो जिले के उग्रवाद प्रभावित कई गांव में नक्सलियों के पोस्टर बाजी से इलाके में दहशत है। बीते एक दशक के बाद झारखंड में नक्सलियों की गतिविधि एकबार बढ़ी है। गौरतलब है कि 21 सितंबर से पूरे एक सप्ताह तक, माओवादी अपना स्थापना दिवस मना रहा है। इस निमित्त जगह-जगह पोस्टर बाजी कर स्थापना दिवस को सफल बनाने और अपने संगठन को विस्तार करने इरादे जता, पुलिस को चुनौती दे रही है। झारखंड में अब प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीपीसी और पीएलएफआई कमजोर पड़ गए हैं। पिछले कुछ सालों में पुलिस की ओर से लगातार चलाए गए अभियान की वजह से ऐसा संभव हुआ है।

झारखंड पुलिस के लिए कई नक्सली बड़ी चुनौती

झारखंड पुलिस के अनुसार राज्य में अब मात्र 91 सक्रिय माओवादी बचे हैं। इन माओवादियों के खात्मे के लिए सुरक्षा बलों की 86 कंपनियां लगी हुई है। इनमें सीआरपीएफ की 31 कंपनियां है। झारखंड में पिछले एक साल के दौरान 45 इनामी नक्सली कम हो गए। साल भर पहले झारखंड में इनामी नक्सलियों की संख्या 136 थी जो अब घटकर 91 पर पहुंच गई है। झारखंड में इस साल 21 नक्सलियों ने सिलेंडर किया। 181 नक्सली गिरफ्तार हुए, और 7 नक्सली मारे गए हैं। वैसे झारखंड पुलिस के लिए अभी भी कई नक्सली चुनौती है। झारखंड में इस समय एक करोड़ के चार, पच्चीस लाख के 8 , पंद्रह लाख के 15 और दस लाख इनाम के 12 नक्सली हैं।

16 जिलों में माओवादियों का प्रभाव

देशभर में अति प्रभाव वाले 25 में से 8 जिले झारखंड के हैं। झारखंड के 8 जिले माओवादियों के सक्रियता के लिहाज से अति माओवाद प्रभाव श्रेणी में है। वैसे कमोवेश राज्य के 16 जिलों में माओवादियों का प्रभाव है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक पूर्व में देश भर के 90 जिले प्रभावित थे लेकिन अब इसकी संख्या घट कर 70 रह गई है। केंद्र में 70 में से 25 जिलों को अति प्रभाव वाला माना गया। इन 25 में से 8 जिले झारखंड के हैं।

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