India News (इंडिया न्यूज), Patan Vidhan Sabha Seat: छत्तीसगढ़ विधानसभा को लेकर तैयारी शुरु हो गई है। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। साथ ही वोटों की गिनती का दिन भी फिक्स हो चुका है। अब सारा भार छत्तीसगढ़ की जनता के ऊपर है। सारी पार्टियां अपनी ओर से जनता को अपने पक्ष में लाने की कोशिश में लगी है। तरह-तरह की घोषणाएं की जा रही है।
कभी नौकरी देने का वादा तो कभी कर्ज माफी के कसमें खाए जा रहे हैं। अब सारी जिम्मेदारी प्रदेश की जनता के ऊपर है। ऐसे में हमारे लिए प्रदेश के राजनीतिक इतिहास को जानना बेहद जरुरी है। हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ की सबसे चर्चित सीट पाटन के बारे में।
- बीजेपी कर रही संघर्ष
- विजय बघेल दुर्ग सांसद
विजय बघेल करेंगे भूपेश बघेल का सामना
पाटन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सीट है। इस विधानसभा सीट से सीएम भूपेश चुनावी मैदान में उतरते हैं। अगर हम पाटन के बारे में और आसानी से समझना चाहें तो इसे यूपी का करहल भी कहा जा सकता है। पाटन में बीजेपी ने यूपी के करहल जैसी परिस्थितियां बनाई है। इस सीट पर भूपेश बघेल के खिलाफ बीजेपी की ओर से विजय बघेल को मैदान में उतारा है।
यूपी के करहल उपचुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को उतारा था। हालांकि बीजेपी की ये ट्रीक काम नहीं आई। एसपी सिंह बघेल को 67 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इसी एक्सपेरिमेंट को दोहराते हुए बीजेपी पाटन विधानसभा सीट पर कांग्रेस की अभेद किला को साधने की कोशिश में लगा है।
2013 से बीजेपी कर रही संघर्ष
बता दें कि विजय बघेल और भूपेश बघेल का मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। चाचा-भतीजे को एक सीट के लिए संघर्ष करते देखना प्रदेश की जनता के लिए बेहद रोमांचक होगा। बता दें कि विजय बघेल दुर्ग सांसद है। साथ ही विजय बघेल सीएम भूपेश बघेल के भतीजे है। शुरुआत से हीं भूपेश और विजय एक दूसरे के प्रतिद्वंदी के रुप में नजर आएं हैं। 2008 विधानसभा चुनाव में विजय बघेल को पाटन से जीत मिली थी। हालांकि उसके बाद 2013 से बीजेपी इस सीट के लिए संघर्ष करने में लगी है। हालांकि पिछले दो चुनावों में इस सीट से जीत-हार का फासला काफी कम था।
2003 से 2008 का सफर
साल 2018 में बीजेपी की ओर से मैदान में मोतीलाल साहू को उतारा गया था। जिसमें बीजेपी को 56875 मिले थें। वहीं बीजेपी के उम्मीदवार भूपेश बघेल 84352 वोटों की मदद से बाजी मार गए। वहीं साल 2013 में बीजेपी की ओर से मैदान में उतारे गए विजय बघेल और कांग्रेस की ओर से मैदान में खड़े भूपेश बघेल की जीत में केवल दस हजार वोटों का अंतर था। अगर साल 2008 की बात करें तो इस चुनाव में विजय बंघेल ने दंगल जीता था। इस दौरान विजय बघेल के खाते में 59000 वोट आएं। वहीं भूपेश बघेल 51158 वोटों पर सीमट गए। इससे पहले साल 2003 चुनाव के दौरान विजय बघेल एनसीपी में थें। जिसमें उन्हें 37308 वोट मिला। वहीं भूपेश बघेल को 44217 वोट प्राप्त हुए।
पाटन का जातीय समीकरण
पाटन की जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ओबीसी वोटरों की संख्या अधिक है। जिसमें सबसे ज्यादा साहू और कुर्मी समाज के मतदाता हैं। ऐसे में इस जाती के लोगों का सपोर्ट हार और जीत के मायने बदल देती है। आपको बता दें कि भूपेश बघेल और विजय बघेल दोनों ही कुर्मी समाज से आते हैं। जिसके कारण मतदाता भी बट गए हैं। मतदाता बट जानें कारण इनके जीत-हार में ज्यादा वोटों का अंतर नहीं होता है। वहीं इस क्षेत्र में सतनामी समाज और जनरल वोटर की संख्या भी सामान्य है।
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