Rahul Gandhi: सूरत जिला अदालत ने कल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को उनकी कथित मोदी ‘सरनेम’ टिप्पणी को लेकर दायर आपराधिक मानहानी मामले में दोषी ठहराया है। राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोल्लर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कथित तौर पर पूरे मोदी समुदाय को उन्होंने कहा “नीरव मोदी, ललित मोदी इन सब चोरों का नाम मोदी कैसे हो सकता है ?” निरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी आप खोजेंगे तो एक दो मोदी और निकलेंगे। इस संबंध में पूर्णश मोदी ने सूरत की एक अदालत में केस दायर किया जिसका कल फैसला आया और राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई गई।
कानून सम्मत किसी भी सांसद या विधायक को आपराधी घोषित होने के उपरांत, यदि दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी संसद या विधायकी से सदस्यता रद्द हो जाती है। इसी कानून के तहत आज राहुल गांधी की संसद की सदस्यता निरस्त हो गई।
याद रहे यूपीए के शासनकाल में मनमोहन की कैबिनेट ने इस प्रावधान को निरस्सत करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे राहुल गांधी ने जनता के सामने फाड़ दिया और कहा इसका कोई मतलब नहीं होता। इसमें मनमोहन सिंह और उनकी कैबिनेट की बहुत थू-थू हुई थी और यदि राहुल गांधी ने यह कुकृत्य उस समय नहीं किया होता तो शायद आज इन्हें सदस्यता निरस्त होने के फैसले का सामना ना करना पड़ता।
कितनी विडंबना है की कोर्ट के निर्णय को समस्त विपक्ष और कांग्रेस मोदी और उनकी सरकार का निर्णय मान रही है, विपक्ष कह रहा है कि देश में लोकतंत्र समाप्त हो गया, विदेश में राहुल गांधी यही कह कर आए थे।
2024 में भाजपा अकेले चुनाव लड़ना चाहती है वगैरा-वगैरा…
कितना हस्यास्पद है, गलती स्वंय करो और उसका दोष मोदी और उनकी सरकार पर मढ़ दो। किसने कहा था कि एक पूरे समुदाय को सरे आम चोर कह दो और फिर लोकतंत्र कि हत्या कि दुहाई दो और यह राहुल गांधी ने पहली बार ऐसा नहीं कहा। 2019 के चुनाव के समय उन्होंने मोदी चोर है का भी नारा दिया जिसके लिए उन्हें सर्वोच्चय न्यायलय के समक्ष माफी मांगनी पड़ी और कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि सार्वजनिक जीवन में संभलकर बोलना चाहिए।
यह कोई पहला या दूसरा मामला नहीं है राहुल गांधी लगातार उल-जलूल बयान देकर सुर्खियां बटोरते हैं फिर पकड़े जाने पर या तो मुकर जाते हैं या झूठ बोल जाते हैं। अभी हाल ही में 4 मार्च को उन्होंने कैंब्रिज में भारत में लोकतंत्र की समाप्ति हो जाने का बयान दिया और कहा कि अमेरिका और यूरोप को भारत में लोकतंत्र में बहाली के लिए आगे आना चाहिए।
इस बयान को सभी ने टीवी पर देखा और अखबारों में पढ़ा लेकिन 6 मार्च को राहुल गांधी इस बयान से पलट गए और अभी हाल ही में विदेशी मामलों के संबंध में एक संसदीय कमिटी के सामने फिर कहा कि मैने तो ऐसा कुछ कहा ही नहीं।
इसी प्रकार कश्मीर में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के बयान देने के उपरांत अभी तक उसका कोई साक्ष्य नहीं दे पा रहे हैं। इसी तरह 2014 में राहुल गांधी ने भिवंडी में भाषण देते हुए कहा कि गांधी जी की हत्या की दोषी आरएसएस है जिसका केस भी चल रहा है।
अभी हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के अकोला जिले के वाडेगांव में एक संवाददाता सम्मेलन में राहुल गांधी ने 1920 के सरकारी रिकॉर्ड से दस्तावेज दिखाए, जिसमें दावा किया गया कि विनायक दामोदर सावरकर द्वारा अंग्रेजो को लिखा गया एक पत्र है। उनके इस बयान पर वीडी सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने एक शिकायत दर्ज कराई है।
ऐसे मानहानी के कितने ही केस विभिन्न अदालतों में राहुल गांधी के चल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में अपनी गलत बयानी के कारण माफी मागंने के बावजूद राहुल गांधी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे और अब जब कानूनी प्रक्रिया के तहत एक्शन लिया जा रहा है, तो जनता को गुमराह करने के लिए कांग्रेस पार्टी और विपक्ष लोकतंत्र की हत्या की रट लगातार लगा रहा है। सोच रहा है एक झूठ के बार-बार बोलने से शायद जनता इसे सत्य समझने लगे। यह 2023 का भारत है, संस्कारों के पुष्पीत और पल्लवीत भारत है, पढ़ा लिखा भारत है, लोग हर वक्तव्य और घटना का स्वंय मंथन करते हैं, लोगों की मनशा पर अपने विचार रखते हैं। देश के विकास के लिए कार्य करने वाली पार्टी को बार-बार चुन कर समर्थन दे रहें हैं अब चाहें कांग्रेस और विपक्ष कितनी भी चिल्ले पों करलें, जनता सब जान रहीं है कि यह हाय तौबा 2024 के आम चुनाव जितने के लिए की जा रही है लेकिन जनता तो काम करने वालों को ही जीता कर लाएगी, जिससे की अमृतकाल में भारत का भविष्य सुनहरी हो सके और देश और देशवासी विकास और तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकें।
राहुल गांधी के खिलाफ निर्णय मोदी जी या भाजपा ने नहीं लिया बल्कि उनके उपर कार्रवाई कोर्ट के निर्णय के उपरांत कानून को ध्यान में रखते हुए ली गई है।