India News(इंडिया न्यूज़), Sachin Arora, Raksha Bandhan 2023: सावन का महीना चल रहा है, रिम झिम फुहारें कब आपको भिगो दे पता नहीं। हालांकि इस मौसम में ज्यादातर चाट पकौड़ी और गरमा-गरम चाय का मन करता है। अगर आपका सम्बन्ध राजस्थान हरियाणा या बृज क्षेत्र से है तो इस मौसम में ख़ास बनायीं और खायी जाने वाली मिठाई घेवर की दीवानगी आप छिपा नहीं सकते, रक्षा बंधन और तीज घेवर के बिना अधूरे माने जाते हैं।
इतिहास में घेवर का ज्यादा ज़िक्र नहीं मिलता
रसगुल्ला गुलाबजामुन की तरह प्राचीन इतिहास में घेवर का ज्यादा ज़िक्र नहीं मिलता है। राजस्थान और ख़ास कर बृज नगरी में काफी पहले से रक्षा बंधन के त्यौहार पर घेवर का मिठाई के तौर पर चलन रहा है। इन इलाक़ों में आज भी कहते हैं कि रक्षा बंधन और तीज का त्यौहार घेवर के बिना अधूरा हैं। एक ज़िक्र ये भी मिलता है कि जब बहन भाई के घर राखी बांधने जायेगी तो वो घेवर लेकर जरूर जायेगी।
घेवर में बहुत प्रकार के होते हैं फ्लेवर
आम तौर पर मैदा और आरारोट के घोल को गर्म कड़ाही में पकाया जाता है, फिर सांचो में ढाल कर उसके बाद चासनी में पिरो कर बनता है घेवर। समय के साथ घेवर की किस्मों में भी इजाफा हुआ है। आज कल रक्षा बंधन के आस-पास तरह-तरह के घेवर आपका मन ललचाने को तैयार रहते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसे दिखने वाले घेवर में बहुत प्रकार के फ्लेवर आते हैं- जैसे मलाई घेवर, बादाम घेवर, केसर घेवर, पिस्ता घेवर और मावा घेवर। बारिश के मौसम में लोग बड़े चाव से इसे खाते और खिलाते हैं।
रेस्टोरेंट्स में हनीकॉम्ब डेज़र्ट के नाम से भी मिलता है घेवर
रेस्टोरेंट्स में गोल जालीदार वाली इस मिठाई को हनीकॉम्ब डेज़र्ट के नाम से भी ऑर्डर किया जा सकता है। समय और जगह के साथ घेवर के दामों में भी अंतर होता रहता है और ये मिठाई आपको 150 रूपये किलो से 500 रुपये किलो तक मिल जायेगी। वक़्त के साथ इसके आकार और सजाने के तरीके में परिवर्तन जरूर आया हो लेकिन कुछ नहीं बदला है, तो वो है इसका स्वाद, इसका ज़ायका। इस बार त्यौहार जरूर मनायें और अपने त्यौहार में शामिल कर लें घेवर की मिठास। यकीन मानिये आपके त्यौहार का स्वाद कई गुना बढ़ जाएगा।
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