India News (इंडिया न्यूज़), Stubble Burning In Punjab: पंजाब सरकार द्वारा लगातार पराली जलाने की घटनाओं को रोकने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए 776 नोडल अधिकारियों को भी नियुक्त किया गया है। इसके बावजूद भी यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज एक बार फिर जालंधर के भोगपुर में पराली जलाई गई। पंजाब सरकार द्वारा इस साल पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक एक्शन प्लान सौंपा गया है। जिसका लक्ष्य पिछले साल की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी लाना है।
- 776 नोडल अधिकारियों को किया गया नियुक्त
- पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य
सरकार की तैयारी
बता दें कि सरकार द्वारा उन किसानों की सूची मांगी गई है, जिनके खेतों में जलती हुई पराली की तस्वीर सैटेलाइट के माध्यम से खीची गई थी। सरकार पराली को खेतों मे जलाने के बजाय इसके निस्तारण के अन्य उपाय निकालने में लगी है। जिसके लिए 1,17,672 सीआरएम मशीनें का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इस मशीन के माध्यम से करीब 11.5 मीट्रिक टन और अन्य माध्यमों से 4.67 मीट्रिक टन पराली का निस्तारण किया जाएगा। जिसके लिए राज्य में करीब 23,792 कस्टम हायरिंग सेंटर बनाया गया है।
बढ़ रहा प्रदुषण का स्तर
पंजाब में हर साल धान कटाई के बीच यह समस्या आती है। इस साल सितंबर के पंद्रह तारीख से धान कटाई शुरु हो चुका है। जिसके बाद 15 दिनों में करीब 342 मामले आ चुके हैं। इस साल पराली जलाने रिकॉर्ड पिछले दो सालों के मुकाबले ज्यादा है। पंद्रह सितंबर से एक अक्तूबर तक सबसे ज्यादा मामला पंजाब के अमृतसर में देखने को मिला है। जहां करीब 86 स्थानों पर पराली जलाने की ख़बर मिली है। पराली जलाने की घटनाओं के साथ पंजाब का प्रदूषण स्तर भी बढ़ने लगा है। अमृतसर मेंवायु प्रदूषण का स्तर 86 से बढ़कर 109 पहुंच गया है।
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