इंडिया न्यूज़ (दिल्ली):सुप्रीम कोर्ट में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 और धारा 70 को चुनौती देते हुए याचिका लगाई गई थी,इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करके चार हफ्ते में जवाब माँगा है,धारा 33 और 70 प्रत्याशियों को लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में एक से ज्यादा सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति देता है.

इस याचिका में ऐसे प्रावधानों को वापस लेने के लिए कहा गया है जहां दो सीटों से चुनाव लड़ने के अनुमति लेकिन जीतने के बाद एक सीट खाली करना होता है फिर उसपर उपचुनाव करवाए जाते है जिस से सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच ने इसपर सुनवाई की,वकील चंदेर उदय सिंह ने कोर्ट में बताया की धारा 33 (7) के अलावा और धारा 70 की संवैधानिकता को भी चुनौती दी गई है.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया की राजनीतिक दलों को अपने आंतरिक विवादों को आम जनता और सार्वजनिक धन की कीमत पर उपचुनाव के लिए मजबूर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, एक निर्वाचित प्रतिनिधि शारीरिक बीमारी के अलावा और किसी कारण से समय से पहले पद से इस्तीफा देने का हकदार नहीं होगा चुनाव का पूरा खर्च जमा किए बिना,यदि वह चुनाव की लागत जमा करने में विफल रहता है तो चुनाव आयोग तो उस से वसूल करना चाहिए भू-राजस्व के बकाए की तरह.

जिन उम्मीदवारों पर ऊपर स्पष्ट रूप से लागत का भुगतान करने का बोझ लगाया जाना चाहिए, उन्हें भी याचिका द्वारा परिभाषित किया गया –

1.यदि निवर्तमान विधायक लोकसभा के लिए चुनाव लड़ते हैं और चुनाव में विधानसभा सीट खाली कर देते हैं और इसके विपरीत.

2.एक उम्मीदवार विधानसभा और लोकसभा दोनों के लिए चुनाव लड़ता है जब चुनाव एक साथ होते हैं.

3.एक निर्वाचित सदस्य एक सीट खाली करता है और आगामी उप-चुनाव में मतदाताओं पर अपनी पकड़ स्थापित करने के लिए या पार्टी बदलकर फिर से चुनाव लड़ना चाहता है.

याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, सुश्री उषा नंदिनी वी द्वारा लगाई गई थी.