इंडिया न्यूज़(दिल्ली):सुप्रीम कोर्ट ने कहा की रिश्तो का नाकामयाब होना कई बार रेप के एफआईआर का आधार नहीं हो सकता और वो भी तब जब महिला अपनी मर्जी से रिश्ते में हो,सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तारी से पहले का बेल उस व्यक्ति को दे दिया जिसपर शादी का वादा करके रेप करने का मामला दर्ज किया गया था और दोनों ने एक बच्चे को भी जन्म दिया है.
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और विक्रम नाथ ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमे शादी का झांसा देकर रेप करने के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से मन कर दिया गया था,सुप्रीम कोर्ट ने कहा की महिला आरोपी के साथ चार साल से रिश्ते में थी जब रिश्ते शुरू हुआ तब महिला 21 साल की थी,अब जब रिश्ता नहीं है तब रेप के मुकदमे का कोई मतलब नहीं बनता,सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यह आदेश सिर्फ गिरफ्तारी से छूट देता है इस मामले में आगे की जांच जारी रहेगी.