Tabbar Web Series REVIEW

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

Tabbar Web Series REVIEW 15 अक्टूबर 2021 को सोनी लिव पर रिलीज हुई वेबसीरीज ‘टब्बर’ बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ की याद दिलाती है। टब्बर में भी मूल कथा यही है। जैसे फिल्म ‘दृश्यम’ में दिखाया गया है कि किस तरह एक पिता अपनी बेटी से जबरन मिलने आए एक लड़के की हादसे में हत्या होने के बाद, उसका शव दफन कर देता है। बहुत ही चालाकी से इस पूरे मामले पर पर्दा डालने के लिए एक ऐसी कहानी बुनता है, जिसमें पुलिस उलझ कर रह जाती है।

इसी तरह क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज ‘टब्बर’ में भी एक मिडिल क्लास फैमिली को क्राइम करने के बाद उससे बचते हुए दिखाया गया है। इसके साथ ही फैमिली वैल्यू पर मजबूती से प्रकाश डाला गया है। अजीत पाल सिंह द्वारा बनाई गई टब्बर वेबसीरीज में कलाकार के रूप में पवन मल्होत्रा, सुप्रिया पाठक, गगन अरोरा, साहिल मेहता, परमवीर चीमा, रणवीर शौरी से अच्छी भूमिका निभाई है।

सोनी लिव ‘टब्बर’ वेबसीरीज के आठ एपिसोड हैं। अनुभवी और अभिनय कला में पारंगत अभिनेताओं से सजी इस वेब सीरीज में पवन मल्होत्रा, सुप्रिया पाठक, रणवीर शौरी के साथ कम अनुभवी गगन अरोरा, साहिल मेहता और परमवीर चीमा ने लेखक हरमन वडाला और निर्देशक अजीत पाल सिंह की जोड़ी की इस कृति को क्या सशक्त रूप प्रदान किया है? ये एक ऐसी वेब सीरीज है, जो समय और कालखंड पर निर्भर नहीं है, लेकिन कहानी के जरिए एक एक सूत्र को इतने महीन रूप से गूंथा है कि कुछ विचित्र गलतियां भी छुप जाती हैं। अच्छी वेब सीरीज की श्रृंखला में सोनी लिव की ये प्रस्तुति ‘महारानी’ जैसी खूबसूरत है। (Tabbar Web Series REVIEW)

एक पिता कैसे तोड़ता है कानून? (Tabbar Web Series REVIEW)

‘टब्बर’ वेबसीरीज में दिखाया गया है कि कानून का पालन करने वाला एक पिता बच्चों और परिवार के लिए किस हद तक कानून को तोड़ने का काम कर सकता है? किराने की दुकान चलाने वाला ओंकार सिंह (पवन मल्होत्रा) अपनी पत्नी सरगुन (सुप्रिया पाठक) और अपने दो बेटों हैप्पी (गगन अरोरा) और तेगी (साहिल मेहता) के साथ अभावों में भी जिंदगी चलाने की कोशिश करता है।

ट्रेन में बैग बदल जाने की वजह से स्थानीय नेता अजीत सोढ़ी (रणवीर शौरी) का छोटा भाई महीप सोढ़ी (रचित बहल) उनके घर आ धमकता है और हाथापाई में महीप को गोली लग जाती है और वो मर जाता है। ओंकार को अपने परिवार को पुलिस के चंगुल से बचाने के लिए एक के बाद एक अपराध करने पड़ते हैं और आखिर में उसे अपनी पत्नी को भी जहर देने का काम करना पड़ता है।

वेबसीरीज का हर सीन ध्यान से रचा गया (Tabbar Web Series REVIEW)

अभिनेता हरमन वडाला ने जालंधर (पंजाब) के सामाजिक तानेबाने को ध्यान में रखते हुए एक स्याह सी कहानी की रचना की है। अपने मित्र अभिनेता संदीप जैन और एक रहस्यमई श्रीमान रॉय की मदद से उन्होंने इसे एक कसी हुई पटकथा की शक्ल दी है। सीरीज का हर एक सीन काफी ध्यान से रचा गया है। पूरे सीरीज में एक तनाव बना रहता है।

हर बार लगता है कि अब शायद ये केस खुल जाएगा और परिवार बिखर जाएगा, लेकिन कहानी में नया मोड़ आता है और फिर से दर्शक सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। ओंकार के काइयां पडोसी महाजन (बाबला कोचर) हों, या ओंकार का भतीजा लकी (परमवीर सिंह चीमा) या फिर अजीत सोढ़ी का दाहिना हाथ मुल्तान (अली), अपने अपने तरीके से ओंकार और उसके परिवार का भेद खोलना चाहते हैं या उन्हें खत्म करना चाहते हैं लेकिन ओंकार हर बार अपने दिमाग का इस्तेमाल कर के उन्हें बचा लेता है।

परमवीर सिंह चीमा ने इंस्पेक्टर की भूमिका में सबको प्रभावित किया (Tabbar Web Series ka REVIEW)

पवन मल्होत्रा ने पिछले कुछ सालों में इतनी बार एक सरदार किरदार निभाया है कि यकीन नहीं होता कि वो सरदार नहीं हैं। पवन एक ऐसे अभिनेता हैं जिनको देखना किसी अभिनय स्कूल को अटेंड करने जैसा है। ब्लैक फ्राइडे में वो टाइगर मेमन की भूमिका में थे। ऐसा लगा था कि शायद टाइगर मेमन ऐसा ही होगा। कभी सड़कछाप मवाली, तो कभी गुंडे, कभी स्पोर्ट्स कोच, तो कभी इंस्पेक्टर, पवन हर रोल को अपने अंदर उतार लेते हैं।

ओंकार सिंह का किरदार भी उन्होंने बखूबी निभाया है। उनकी पत्नी की भूमिका में सुप्रिया पाठक ने उन्हें अभिनय में पत्नी की ही तरह जोड़ी निभाई है। सरगुन के रोल में इस वेब सीरीज में मीठा खाने की लत, इन्सुलिन के इंजेक्शन और अपनी आंखों के सामने अपने पति को एक के बाद एक हत्याएं करते देख कर दिमागी संतुलन खो बैठने वाली सुप्रिया को अभिनय करते देखने से इस कला की गहराई को समझना आसान हो जाएगा। रणवीर शौरी का रोल छोटा है मगर इतने भी वो आंखों से कमाल कर जाते हैं। एक अच्छे और ईंमानदार इंस्पेक्टर लकी की भूमिका में परमवीर सिंह चीमा ने प्रभावित किया है।

स्क्रिप्ट में कुछ खामियां हैं, लेकिन अभिनेता लाजवाब हैं (Tabbar Web Series REVIEW in Hindi)

स्क्रिप्ट में कुछ खामियां भी हैं। कुछ किरदार फालतू भी हैं। इन सबके बावजूद, हर किरदार के लिए जो अभिनेता चुने गए हैं, वो लाजवाब हैं। कास्टिंग मुकेश छाबड़ा ने की है और उन्हें इस तरह के डार्क और थ्रिलर ड्रामा में कास्टिंग का चैंपियन माना जाता है। पहली हत्या तो गलती से होती है लेकिन बाद की सारी हत्याएं प्लानिंग के साथ होती हैं। इन सबकी कोई तैयारी नहीं की गयी और अचानक ही परिस्थितयां ओंकार के लिए मुफीद हो जाती हैं।

उसके पास जहर भी होता है जो दवाई की तरह ब्लिस्टर पैक में मिलता है और जहर पानी में मिला कर दिया जा सकता है। हैप्पी यानि गगन के पैर में चोट लग जाती है जो पूरी सीरीज में ठीक तो नहीं होती मगर वो चलता है, स्कूटर चलाता है, कार चलाता है, और मोटर साइकिल चलाते हुए लड़की के कंधे से बैग भी लूट लेता है। ऐसे ही कुछ लॉजिक से परे घटनाओं की वजह से कहानी पर से भरोसा कम होने लगता है लेकिन पवन और सुप्रिया अपने अभिनय से उसे वैतरणी पार करवा देते हैं। कहानी का अंत मार्मिक है।

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