इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Trees And Plants Are Also Troubled By Traffic Noise: जीव-जंतुओं पर शोर का असर होता है, यह बात तो वैज्ञानिक अध्ययनों में कई बार साबित हो चुकी है। इसमें भी कोई संदेह नहीं था कि जीवों पर असर होने के कारण पौधों के पॉलिनेशन (परागण) की प्रक्रिया बाधित होती है और वनस्पति संसार इससे प्रभावित होता है। बेसिक एंड एप्लाइड इकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हाल में हुए अध्ययन (research) में शोर प्रदूषण का पौधों के विकास पर सीधे असर का खुलासा हुआ है। तेहरान की शाहिद बहश्ती यूनिवर्सिटी ने शोर से पौधों के प्रभावित होने को लेकर अध्ययन किया है। (Study done by keeping plants in liquor)

ईरानी वैज्ञानिक ने शहरी माहौल में बहुतायत में पाए जाने वाले दो पौधों गेंदा (फ्रेंच मेरीगोल्ड) और स्कारलेट सेज को अपने लैब में उगाया। एक ही वातावरण में दो महीने उगाए जाने के बाद उन्हें दो वर्गों में बांटा गया। एक समूह को दिन में 16 घंटे तक तेहरान के व्यस्त यातायात के 73 डेसिबल के शोर के बीच रखा गया। दूसरे समूह को शांत माहौल में रखा गया। 15 दिन बाद दोनों से अध्ययन के लिए सैम्पल लिया गया।

कैसे पता चलता है कि पौधे पीड़ित हैं कि नहीं?

यातायात के शोर में रहे पौधों पर इसका असर देखा जा सकता था। उनके पत्तों के एनालिसिस से जाहिर हो रहा था कि वे पीड़ित हैं। पौधों में हाइड्रोजन पेरॉक्साइड और मैलोनडियाल्डिडाइड जैसे केमिकल्स की ज्यादा मात्रा में मौजूदगी तनाव का संकेत दे रही थी। शांत वातावरण में उग रहे पौधों की तुलना में शोर के बीच रहे स्कारलेट सेज के सैंपल में मैलोनडियाल्डिडाइड दोगुना और फ्रेंच मैरीगोल्ड के सैंपल में तीन गुना था।

क्या पौधों की पत्तियों में फर्क पड़ता हैं? (difference in leaves of plants)

वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि शोर में रखे पौधों में स्वस्थ विकास और वृद्धि करने वाले हार्मोन्स का स्तर भी बेहद कम हो गया था। तनाव पैदा करने वाले दो हार्मोन्स जासमोनिक एसिड और एब्सिसिक एसिड का स्तर ज्यादा था। यह हार्मोन्स कीटों के हमले को रोकने और अल्कलाइन (क्षारीय) मिट्टी या बहुत कम तापमान की स्थितियों से निपटने के लिए ईजाद होते हैं। शोर प्रदूषण वाले पौधों के सैंपल की पत्तियों का वजन भी कम था।

क्या यातायात से तनाव महसूस करते हैं? (Trees And Plants Are Also Troubled By Traffic Noise)

  • एक अध्ययन से सामने आया है कि भले ही पौधों के कान नहीं होते, लेकिन यातायात के शोर से होने वाले वाइब्रेशन से उनके भीतर तनाव की प्रतिक्रिया उसी तरह की होती है। जैसी सूखा-अकाल के हालात में या मिट्टी के अल्कलाइन या भारी धातु से युक्त होने पर होती है। क्या सभी तरह का शोर प्रदूषण सभी प्रजातियों को एक ही तरह से प्रभावित करता है।
  • शहरों में अगर यातायात का शोर होता है तो जंगल या प्रकृति भी खामोश कहां रहती है। ऊंचे पर्वतीय इलाकों के घास मैदान आंधी के कटु शोर का सामना करते हैं। गर्जना करते हुए जल प्रपातों के आसपास भी वनस्पति होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है कि पौधों की कुछ प्रजाति इस शोर से निपटने का मैकेनिज्म विकसित कर लेती हो। यह फिलहाल अभी रहस्य है।

Trees And Plants Are Also Troubled By Traffic Noise

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