Ways of eating अब आंत की सेहत एक अहम बात हो गई है और अब हम अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देने वाले कुछ खाद्य पदार्थों के महत्व से हम सभी अच्छी तरह से वाकिफ हैं।
हम जानते हैं कि क्या खाना चाहिए, लेकिन क्या हम ये भी जानते हैं कि आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कैसे खाना चाहिए? यूके की न्यूज वेबसाइट ‘मेट्रो’ के आर्टिकल में डाइजेस्टिव हेल्थ की जानकार न्यूट्रिशनिस्ट क्लेरिसा लेनहर कहती हैं कि मुझे न्यूट्रिशन और हेल्थ से जुड़े मिथकों को तोड़ना, इस विषय पर लोगों को फिर से शिक्षित करना और पूर्व धारणाओं को दूर करना पसंद है।
(Ways of eating)
लोग सोचते हैं कि आंत की सेहत केवल आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से ही जुड़ी है। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आपके खाने का तरीका भी इसके लिए बहुत जरूरी है।
क्लेरिसा लेनहर कहती हैं कि हम चलते-फिरते खाना खाने के आदि हो गए हैं, लेकिन इस तरह की आदतें अपच और आंत में सूजन जैसे लक्षण पैदा कर सकती हैं। जब पाचन से जुड़ी परेशानियों की बात आती है, तो बिना सोचे-समझे खाना इसके सबसे बड़े कारकों में से एक हो जाता है।
कई बार खाने के दौरान हम डाइजेस्टिव प्रोसेस के महत्वपूर्ण हिस्सों को छोड़ देते हैं, लेकिन जब हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम प्रभावी ढंग से काम कर रहा होता है, तो हम आसानी से अपने खाने को डाइजेस्ट कर सकते हैं, और खाने से अधिक पोषक तत्वों को ग्रहण कर सकते हैं तथा आंतों की अच्छी सेहत का पा सकते हैं। क्लेरिसा ने हमें बताया कि अपने खाने के तरीके में छोटे बदलाव करके आंत के कार्य को कैसे बेहतर करें।
खाना अच्छे से चबाएं (Ways of eating)
क्लेरिसा कहती हैं कि पाचन हमारे मुंह में शुरू होता है। जब आप अपना खाना ठीक से चबाते हैं, तो आप लार छोड़ते हैं, जिसमें पाचन एंजाइम होते हैं, ये आपके भोजन को गलाने करने में मदद करते हैं। ऐसा नहीं करने से आंत में सूजन और अपच की समस्या हो सकती है। आपको तब तक खाना चबाना चाहिए, जब तक की उसका चूरा ना हो जाए और एप्पल प्यूरी जैसा ना हो जाए।
चलते-फिरते खाने से बचें (Ways of eating)
चलते-फिरते खाने से ओवरइटिंग, अपच और संभावित सूजन हो सकती है। जब हम चल-फिर रहे होते हैं, तो तो हमारा शरीर सहानुभूति की अवस्था में होता है। इसलिए हमें आदर्श रूप से तब खाना चाहिए, जब हम अपने पैरासिम्पेथेटिक अवस्था में हों, या फिर आराम करो और पचाओ।
नियमित भोजन का रखें लक्ष्य (Ways of eating)
अगर हम अपनी रेगुलर डाइट सही समय लेते हैं, तो हम स्नैक्स और फालतू चीजें खाने से बच जाते हैं। स्नैकिंग माइग्रेटिंग मोटर कॉम्प्लेक्स को बढ़ावा देती है। जो आंतों को साफ करने और हमारे मल त्याग को नियमित रखने में मदद करने के लिए काम करता है। नियमित भोजन पर टिके रहें और खाने के बीच तीन से चार घंटे का अंतराल रखने का लक्ष्य रखें।
तनाव में खाने से बचें (Ways of eating)
जब हम तनाव की स्थिति में होते हैं तो हम गैस्ट्रो में परिवर्तन का अनुभव कर सकते हैं। जैसे कि कम या बढ़ी हुई भूख, सूजन और लूज मोशन आदि। आप भोजन के समय तनाव महसूस करते हैं, तो खाने से पहले कुछ गहरी सांसें लें। गहरी सांस लेने से वेगस नर्व को शांत करने में मदद मिल सकती है, जो आंत और मस्तिष्क के बीच कई संकेतों को नियंत्रित करती है।
मन लगाकर खाएं (Ways of eating)
जब हम खाने वाले होते हैं, तो हमारा दिमाग रजिस्टर करता है और डाइजेशन प्रोसेस को तेज करता है। इसलिए जब हम खाने के बजाय अन्य चीजों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, तो इससे ब्रेन की अवस्था प्रभावित होती है।
इसके आंतों में सूजन जैसे कई नुकसान हो सकते हैं। इसलिए खाना खाते समय टीवी बंद रखें, अपना फोन दूर रखें और खाने की बनावट, खुशबू और स्वाद को लेकर अपने भोजन का सम्मान करें।
धीरे-धीरे खाएं (Ways of eating)
अब पेट भर चुका है, ये बताने के लिए हमारे पेट को ब्रेन को संकेत भेजने में 10-20 मिनट का समय लग सकता है, यदि हम धीरे-धीरे खा रहे हैं, तो हम इन संकेतों को खोने और ओवरइटिंग से बच जाते हैं। अपना भोजन खाने के लिए कहीं भी 10-20 मिनट का लक्ष्य रखें।
(Ways of eating)
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