India News (इंडिया न्यूज), Baba Mahakal: मध्य प्रदेश के उज्जैन का एक पवित्र नगर, जो भगवान महाकाल के ज्योतिर्लिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन विशेष रूप से भस्मारती के समय यह मंदिर और भी विशेष बन जाता है। भस्मारती महाकाल के दरबार में एक अद्भुत और दिव्य अनुभव प्रदान करती है, जिसे देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।

बाबा महाकाल को भांग से सजाया

आज के दिन विशेष रूप से बुधवार को भगवान महाकाल का श्रृंगार गणेश स्वरूप में किया गया। भगवान गणेश का दिन होने के कारण, बाबा महाकाल को भांग से सजाया गया, और उनकी सूंड को भांग से बनाया गया। साथ ही, अर्द्धचंद्र के रूप में ललाट पर तिलक और चांदी के नाग की आकृति वाले कुंडल पहने गए, जिससे बाबा महाकाल का रूप और भी आकर्षक हो गया।

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महिलाओं के लिए घूंघट करना अनिवार्य

सुबह के समय, मंदिर के पट खोले गए और बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान करवाया गया। इसके बाद पंचामृत और अन्य सुगंधित द्रव्य से उनका अभिषेक हुआ। इस अभिषेक के बाद, बाबा महाकाल को भस्म से सजाने की प्रक्रिया शुरू हुई। सबसे पहले, बाबा को स्वेत वस्त्र पहनाए गए और फिर महानिर्वाणी अखाड़े के संत ने भस्म चढ़ाई। यह दृश्य विशेष रूप से पुरुष भक्तों के लिए होता है, जबकि महिलाओं के लिए घूंघट कर लेना अनिवार्य होता है।

भव्य रूप से बाबा का श्रृंगार

इस दिव्य प्रक्रिया के बाद बाबा महाकाल को राजाधिराज स्वरूप में सजाया गया। चांदी के नर मूंडो की माला, विशाल शेषनाग, रुद्राक्ष की माला और चांदी का मुकुट बाबा को पहना कर उन्हें भव्य रूप से सजाया गया। इसके बाद शुरू होती है भस्मारती, जिसमें ढोल, नगाड़े, डमरू, शंख और घंटों की मधुर आवाज के बीच मंत्रोचारण करते हुए पुजारी बाबा महाकाल की आरती करते हैं।

अद्भुत सांस्कृतिक धरोहर

यह आरती महाकाल के भक्तों के लिए एक अत्यधिक पवित्र और अद्वितीय अनुभव होती है। उज्जैन में महाकाल की भस्मारती न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक अद्भुत सांस्कृतिक धरोहर भी है, जिसे देखने के लिए हर कोई लालायित रहता है।

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