India News (इंडिया न्यूज), Bhopal Gas Tragedy: मध्य प्रदेश के पीथमपुर में (Bhopal Gas Tragedy) यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने की योजना के खिलाफ पिछले तीन दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बाद रविवार को स्थिति शांत हो गई। स्थानीय निवासी अब उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। सोमवार को इस मामले की सुनवाई जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में होगी। प्रदर्शनकारियों का मुख्य आक्षेप यह है कि पीथमपुर में लाए गए 337 मीट्रिक टन कचरे से उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।
डॉक्टरों ने भी करी याचिका दायर
इंदौर के डॉक्टरों ने भी इस मामले में याचिका दायर की है, जिसमें कचरे को जलाने के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की चिंता व्यक्त की गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आश्वासन दिया कि सरकार लोगों की चिंताओं को न्यायालय के समक्ष रखेगी और कचरे के निपटान के लिए और समय मांगेगी। सभी की नजरें अब उच्च न्यायालय की सुनवाई पर हैं, जहां सरकार को इस मामले में अपनी कार्रवाई रिपोर्ट पेश करनी है।
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सोशल मीडिया पर अफवाहों का दौर
इस विरोध के बीच रविवार को सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैल गई कि कचरे से भरा एक ट्रक गायब हो गया है। इस अफवाह के बाद प्रशासन सतर्क हो गया और सभी ट्रकों की जांच की गई। एसडीएम प्रमोद सिंह गुर्जर ने अफवाहों को निराधार बताया और लोगों से ऐसे झूठे खबरों पर ध्यान न देने की अपील की।
1984 में भोपाल गैस त्रासदी
उल्लेखनीय है कि इस कचरे को यूनियन कार्बाइड की भोपाल स्थित फैक्ट्री से लाकर पीथमपुर लाया गया था। 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद से इस फैक्ट्री का कचरा एक बड़ी समस्या बन गई है। पहले भी इस कचरे के निपटान को लेकर कई विरोध और जन आंदोलन हो चुके हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि यह कचरा पीथमपुर से हटा लिया जाए और सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाए।
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