India News (इंडिया न्यूज), Bhopal Waste: मध्य प्रदेश के भोपाल की यूनियर कार्बाइट फैक्टरी से निकलने वाला जहरीला कचरा अब चालीस साल बाद सफाई के लिए इंदौर पहुंचा है। इस कचरे ने आठ घंटे में भोपाल से पीथमपुर तक का 250 किलोमीटर का सफर तय किया। यह सफर कुछ खास वजहों से चुनौतीपूर्ण था, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती कोहरे के कारण रफ्तार धीमी रखना थी।

12 कंटेनर हुए इस्तेमाल

वर्षों से फैक्टरी में जमा इस खतरनाक कचरे को हटाने के लिए 12 कंटेनर इस्तेमाल किए गए, जिनमें से हर कंटेनर में दो-दो ड्रायवर तैनात थे और कर्मचारी पीपीई कीट पहने हुए थे। कचरे को विशेष बैग्स में पैक किया गया था और इन कंटेनरों पर “खतरनाक अपशिष्ट” लिखा हुआ था। कुल 337 टन कचरे को तीन दिनों में कंटेनरों में भरकर सुरक्षित स्थान पर भेजा गया।

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भोपाल से पीथमपुर तक का सफर

यह सफर रात 9 बजे भोपाल से शुरू हुआ और सुबह 5 बजे तक पीथमपुर के आशापुरा गांव स्थित फैक्टरी तक पहुंचा। कोहरे के कारण वाहन की गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित रखी गई थी, जिसके कारण सफर में डेढ़ घंटे की देरी हुई। कंटेनरों की सुरक्षा के लिए पुलिस के वाहन रास्ता खोलते हुए चल रहे थे और मार्ग पर जवान तैनात थे।

पुलिस ने हर जगह किया रास्ता साफ

कचरे के परिवहन के दौरान इंदौर बायपास से गुजरते वक्त पुलिस ने हर जगह रास्ता साफ किया। साथ ही, कंटेनरों के आगे एक पायलेट वाहन भी चलाया गया, ताकि किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। यह कदम न केवल पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक कार्य भी है, जिससे पीढ़ियों से चल रहे जहरीले कचरे को हटाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

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