India News(इंडिया न्यूज) MP News: जनवरी की सर्द रात ग्वालियर ठंड की चादर ओढ़े हुए था, कोहरा चारों ओर फैला था। रात के ढाई बजे मुरार थाना क्षेत्र के सराफा बाजार में पुलिस की गश्ती टीम संदिग्ध वाहनों की जांच कर रही थी। इसी दौरान डीएसपी संतोष पटेल और उनकी टीम को दूर एक चौराहे पर जलती आग दिखाई दी। जब पास पहुंचे तो वहां बैठे एक बुजुर्ग की कहानी ने सभी को झकझोर कर रख दिया।

मजबूरी और जिम्मेदारी का संघर्ष

गया, बिहार के रहने वाले 73 वर्षीय वीरेंद्र सविता, जो कभी जेसी मिल में काम करते थे, 1992 में मिल बंद होने के बाद बेरोजगार हो गए। अब वह रातों में चौकीदारी कर अपनी 9वीं में पढ़ने वाली नातिन की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। ठंड से कांपते वीरेंद्र ने बताया, “मेरी उम्र काम करने की नहीं है, लेकिन नातिन की फीस और घर का खर्च उठाने के लिए मुझे यह करना पड़ता है। मजबूरी है, पर नातिन का भविष्य बनाना जरूरी है।”

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पुलिसवालों ने दिखाई इंसानियत

बुजुर्ग की बात सुनकर डीएसपी संतोष पटेल और पुलिस टीम का दिल पसीज गया। वहीं पर उन्होंने आपस में पैसे इकट्ठा कर नातिन की 3 महीने की फीस के लिए मदद दी। यही नहीं, डीएसपी ने अपने गर्म टोपा (वर्दी का हिस्सा) वीरेंद्र को पहनाते हुए कहा, “यह जनसेवा का असली अर्थ है। ऐसे लोगों की मदद करना हमारा कर्तव्य है।”

पुलिसिंग का असली मतलब

DSP ने कहा, “जो इंसान खुद ठंड में जलती आग के पास चौकीदारी कर दूसरों की सुरक्षा करता है, उसके लिए हमारा भी फर्ज है कि हम उसकी मदद करें।” ग्वालियर की इस घटना ने न केवल इंसानियत का संदेश दिया बल्कि पुलिसिंग का असली चेहरा दिखाया। यह घटना साबित करती है कि सर्द रातों में भी दिलों की गर्माहट से बड़ा कुछ नहीं।