India News (इंडिया न्यूज),MP News: दमोह जिले सहित बुंदेलखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बांदकपुर के भगवान जागेश्वरनाथ शिवलिंग की जलहरी 10 साल बाद फिर बदलने जा रही है। इस बार बनारस से कारीगर इसे तैयार करने में लगे हैं। 7 दिन के अंदर इसे बनकर वे दमोह पहुंचाएंगे। इस बार चांदी की जलहरी पिछले बार की तुलना में 10 किलो अधिक वजनी 55 किलो की होगी। इस पर बनारस काशी की प्रसिद्ध हस्तलिपि दस्तकारी नक्काशी की जा रही है, जो अयोध्या के राम मंदिर में है। इससे पहले बनारस के कारीगर दमोह आकर शिवलिंग की साइज लेकर गए थे।
बदलने की जरूरत न पड़े
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जलहरी बनाने वाले बनारस के कारीगर अभिषेक वर्मा ने कहा कि पिछले बार की तुलना में इस बार जलहरी 10 किलो ज्यादा वजन की बनाई जा रही है। अभी जो जलहरी लगी है, उसका वजन 45 किलो है। नई जलहरी 55 किलो की होगी। उन्होंने कहा कि जलहरी की लंबाई 6 फीट और चौड़ाई 5 फीट है। लंबाई और चौड़ाई को अधिक बढ़ाया गया है, ताकि आगे 15 से 20 साल तक जलहरी बदलने की जरूरत न पड़े।
शिवलिंग जमीन की सतह पर
आपको बता दें कि मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक रामकृपाल पाठक का कहना है कि मंदिर का शिवलिंग हर साल बढ़ता है। इसका अंदाजा शिवलिंग की पुरानी पोशॉक को लेकर लगाया जा सकता है। 10 से 15 साल पुरानी पोशाक शिवलिंग पर नहीं आती। वह छोटी होने लगती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिवलिंग का आकर बढ़ रहा है। पाठक केअनुसार महादेव का शिवलिंग जमीन की सतह पर है। श्रद्धालुओं की दोनों भुजाओं में वह समाहित नहीं होता है। शिवलिंग की मोटाई बढ़ने का प्रमाण शिवलिंग की जलहरी है। जो छोटी होती है और दस वर्ष में जलहरी बदलनी पड़ती है। इस बार भी जलहरी बदलने का काम किया जा रहा है। इससे पहले 2014 के आसपास जलहरी बदली गई थी। मगर अब वह छोटी लगने लगी। जिस पर मंदिर ट्रस्ट उसे बदलने जा रहा है।