India News (इंडिया न्यूज), Mahakaleshwar Temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक प्रमुख स्थल है। यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से भगवान शिव के दर्शन और पूजा करने आते हैं। महाकाल मंदिर से जुड़ी एक खास मान्यता है, जिसके अनुसार यहां भगवान शिव ने दैत्य दूषण का वध करने के बाद उसकी भस्म से अपना श्रृंगार किया था। इस कारण से आज भी महाकाल का श्रृंगार भस्म से किया जाता है।
महाकाल मंदिर में 6 बार होती है आरती
हर दिन महाकाल मंदिर में 6 बार आरती होती है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है भस्म आरती। यह आरती सुबह के समय होती है, जब मंदिर के दरवाजे खोलने के बाद सबसे पहले भगवान महाकाल को स्नान कराया जाता है और फिर पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। इस दौरान भस्म आरती का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। श्रद्धालु इस दिव्य आरती में भाग लेकर भगवान महाकाल के दर्शन करते हैं।
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मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि
आज, मंगलवार को, मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भस्म आरती का आयोजन विशेष रूप से हुआ। सुबह 4 बजे बाबा महाकाल ने जागरण किया और श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खोले गए। इस मौके पर बाबा महाकाल का श्रृंगार चांदी के मुकुट से किया गया, जो देखने में बहुत ही आकर्षक और दिव्य लग रहा था। भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल के मस्तक पर यह चांदी का मुकुट पहनाया गया, जिससे उनका रूप और भी भव्य दिखाई दे रहा था।
भस्म आरती एक अद्भुत और अद्वितीय अनुभव
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन कर जय श्री महाकाल का उद्घोष किया और भस्म आरती की विशेषता को महसूस किया। महाकाल की भस्म आरती एक अद्भुत और अद्वितीय अनुभव है, जो हर भक्त के लिए जीवनभर की याद बन जाती है।
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