India News (इंडिया न्यूज), Mahakaleshwar Temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में फाल्गुन शुक्ल द्वितीया के शुभ अवसर पर भक्तों को पंच मुखारविंद दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। महाशिवरात्रि के बाद हर वर्ष केवल एक बार यह अवसर आता है, जब भगवान महाकाल अपने पांच दिव्य स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं।

विशेष भस्म आरती

शनिवार सुबह 4 बजे महाकालेश्वर मंदिर के पट खोले गए, जिसके बाद विशेष भस्म आरती का आयोजन हुआ। मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक किया गया, जिसमें दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से उनका स्नान कराया गया। इसके बाद कपूर आरती की गई और भगवान को रजत मुकुट, रुद्राक्ष और पुष्पों की माला पहनाई गई।

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विशेष भस्म रमाई

इस दौरान महाकाल ज्योतिर्लिंग को सूर्य और चंद्र से अलंकृत किया गया और विशेष भस्म रमाई गई। हजारों श्रद्धालुओं ने इस दिव्य दर्शन का लाभ लिया और पूरा मंदिर परिसर “जय श्री महाकाल” के जयघोष से गूंज उठा।

महाकाल के पांच दिव्य स्वरूप

भगवान महाकाल फाल्गुन शुक्ल द्वितीया पर पंच मुखारविंद रूप* में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस विशेष अवसर पर वे पांच स्वरूपों में प्रकट होते हैं-

1. श्री छबिना स्वरूप – भगवान की शोभायात्रा का प्रतीक, जो उनकी दिव्यता को दर्शाता है।
2. श्री मनमहेश स्वरूप – हिमालय निवासी भगवान शिव के तेजस्वी रूप को प्रकट करता है।
3. श्री होल्कर स्वरूप – इस रूप में भगवान महाकाल को मराठा शैली में पूजित किया जाता है।
4. श्री उमामहेश स्वरूप – भगवान शिव और माता पार्वती का संगम स्वरूप, जो सौहार्द्र और प्रेम का प्रतीक है।
5. श्री शिवतांडव स्वरूप – भगवान शिव के रौद्र और तांडव नृत्य का स्वरूप, जो सृष्टि के संहार और पुनर्निर्माण का द्योतक है।

शिव नवरात्रि और महाशिवरात्रि का समापन

इस वर्ष शिव नवरात्रि 17 फरवरी 2025 से 27 फरवरी 2025 तक चली, जिसके दौरान भक्तों को भगवान महाकाल के विभिन्न रूपों के दर्शन का अवसर मिला। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन में भव्य आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु शामिल हुए।

श्रद्धालुओं के लिए दिव्य अनुभव

पंच मुखारविंद दर्शन के इस अवसर पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। विशेष पूजन, मंत्रोच्चार और आरती के बीच भगवान महाकाल के इन रूपों का दर्शन करना श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक और दिव्य अनुभव रहा। महाकाल के इस अद्भुत दर्शन के साथ भक्तों ने भगवान शिव से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।

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