India News (इंडिया न्यूज), Mahakaleshwar Temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन शिव की नगरी में महाशिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। हर साल महाशिवरात्रि से नौ दिन पहले से महाकाल मंदिर में शिव नवरात्रि उत्सव शुरू हो जाता है। इस दौरान भगवान महाकाल के नौ अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन भक्तों को होते हैं। इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। शिव नवरात्रि 17 फरवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगी। इन नौ दिनों में बाबा महाकाल को विशेष शृंगार और अनुष्ठानों के साथ सजाया जाता है।

शिव नवरात्रि की शुरुआत

शिव नवरात्रि के पहले दिन, पुजारी कोटेश्वर महाकाल का पूजन-अभिषेक कर हल्दी चढ़ाते हैं। इसके बाद भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक और रुद्रपाठ किया जाता है। हर दिन भगवान महाकाल का विशेष रूप में शृंगार किया जाता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से भक्त उज्जैन आते हैं।

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महाकाल के नौ रूप

पहला दिन – वस्त्र धारण, चंदन से शृंगार और जलाधारी पर हल्दी चढ़ाई जाती है।
दूसरा दिन – शेषनाग रूप, बाबा महाकाल को शेषनाग रूप में सजाया जाता है।
तीसरा दिन – घटाटोप रूप, इस दिन बाबा का घटाटोप स्वरूप दिखता है।
चौथा दिन – छबीना रूप, राजकुमार के रूप में नवयुवक की तरह बाबा महाकाल का शृंगार होता है।
पांचवां दिन – होल्कर परंपरा, महाकाल को होल्कर परंपरा के अनुसार सजाया जाता है।
छठा दिन – मनमहेश रूप, महाकाल का शृंगार मनमहेश रूप में किया जाता है।
सातवां दिन – उमा महेश, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के उमा-महेश स्वरूप में दर्शन होते हैं।
आठवां दिन – शिव तांडव, बाबा महाकाल तांडव रूप में रौद्र स्वरूप में नजर आते हैं।
नौवां दिन – निराकार दूल्हा रूप, शिव नवरात्रि के अंतिम दिन बाबा महाकाल को दूल्हा बनाकर फूलों का सेहरा पहनाया जाता है।

शिव-पार्वती विवाह की परंपरा

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस अवसर पर महाकाल मंदिर में शादी जैसे उत्सव की धूम रहती है। भक्त भक्ति गीत गाकर भगवान के विवाह को मनाते हैं। इस नौ दिवसीय महोत्सव में भगवान महाकाल के हर स्वरूप के दर्शन भक्तों के लिए सौभाग्यशाली माने जाते हैं।

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