India News (इंडिया न्यूज), Mahakaleshwar Temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर, अपने भस्म आरती के लिए प्रसिद्ध है। यह आरती भगवान महाकाल के भक्तों के लिए एक अद्भुत और दिव्य अनुभव होती है, जिसमें राख यानी भस्म से भगवान महाकाल के ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार किया जाता है। भस्म आरती का यह अद्वितीय आयोजन महाकाल के श्मशान के साधक रूप को दर्शाता है, जैसा कि पौराणिक मान्यताओं में उल्लेखित है।
ऐसे होता है बाबा का श्रृंगार
भस्म का उपयोग भगवान महाकाल के श्रृंगार में किया जाता है, जिसे गाय के गोबर से बने उपलों को जलाकर तैयार किया जाता है। पहले के समय में इस भस्म को श्मशान से लाकर पूजा में प्रयोग किया जाता था, हालांकि वर्तमान में इस बात को मंदिर के पुजारी नकारते हैं। भस्म आरती की प्रक्रिया लगभग दो घंटे तक चलती है, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान महाकाल की पूजा और श्रृंगार किया जाता है।
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भगवान की आरती
इस आरती के अंत में भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की जाती है और उनके साथ भक्ति की धारा में डूबे हुए भक्त सामूहिक स्वर में आरती गाते हैं, जिससे माहौल भक्तिमय हो जाता है। हाल ही में, महाकालेश्वर मंदिर में गुरुवार की सुबह भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल का आकर्षक श्रृंगार किया गया। इस श्रृंगार में बाबा महाकाल के सिर पर चांदी का मुकुट लगाया गया और उनके शरीर पर भांग, ड्रायफ्रूट और पूजन सामग्री अर्पित की गई।
श्रद्धालु प्राप्त करते है आशीर्वाद
सुबह 4 बजे भगवान महाकाल की जागरण प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें पहले उन्हें गर्म जल से स्नान करवाया गया और फिर पंचामृत अभिषेक किया गया। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े ने उन्हें भस्म अर्पित की। श्रद्धालु नंदी हॉल और गणेश मंडपम से इस दिव्य आरती का दर्शन कर “जय श्री महाकाल” का उद्घोष करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। महाकाल भक्तों के लिए यह अवसर बेहद खास होता है, क्योंकि वे भगवान के दर्शन कर अपने जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।