India News (इंडिया न्यूज), MP High Court: मध्य प्रदेश में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के चिकित्सा रिकॉर्ड्स को डिजिटल करने की प्रक्रिया अब तेजी पकड़ चुकी है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद राज्य सरकार ने इस कार्य को प्राथमिकता देते हुए अतिरिक्त मशीनों की स्थापना कर दी है। अब प्रतिदिन 20,000 पृष्ठों का स्कैनिंग कार्य किया जा रहा है, जिससे यह पूरा काम अगले छह महीनों में पूरा हो जाएगा।
हाई कोर्ट की फटकार
एमपी हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की पीठ ने राज्य सरकार को मेडिकल रिकॉर्ड डिजिटलीकरण की धीमी गति पर कड़ी फटकार लगाई थी। पहले, सरकार ने बताया था कि रिकॉर्ड की खराब स्थिति के कारण प्रतिदिन केवल 3,000 पृष्ठों का ही स्कैन संभव था, जिससे इसे पूरा करने में 550 दिन लगते। हाई कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए सरकार को एक सप्ताह के भीतर नई कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया। इसके बाद, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) के निदेशक ने संयुक्त बैठक कर डिजिटलीकरण की गति तेज करने का फैसला लिया।
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अब 6 महीनों में पूरा होगा काम
राज्य सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दायर शपथ पत्र के अनुसार, अब 17 लाख पृष्ठों के डिजिटाइजेशन का कार्य अगले छह महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे गैस त्रासदी पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट्स सुरक्षित हो सकेंगी और उनके इलाज से जुड़ी जानकारियां आसानी से उपलब्ध होंगी।
पुराने मामलों की भी होगी समीक्षा?
कोर्ट मित्र अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में गैस त्रासदी पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास से जुड़े 20 अहम निर्देश जारी किए थे। इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई थी, जिसे हर तीन महीने में हाई कोर्ट को रिपोर्ट देनी थी। लेकिन समय पर रिपोर्ट पेश न होने के कारण 2015 में अवमानना याचिका दायर की गई थी।
पीड़ितों को जल्द मिलेगा न्याय
अब हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि पीड़ितों को जल्द न्याय मिलेगा और उनके इलाज से जुड़े सभी दस्तावेज डिजिटल रूप में संरक्षित किए जाएंगे। अगर सरकार समय पर इस कार्य को पूरा कर लेती है, तो यह गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी।
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