India News (इंडिया न्यूज), MP News: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। इस विवाह में न तो दूल्हा-दुल्हन ने अग्नि के फेरे लिए और न ही कोई मंत्रोच्चार हुआ। बल्कि संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर को साक्षी मानकर यह विवाह संपन्न हुआ। यह अनूठा विवाह खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर दूर एक गांव में हुआ, जहां अनुसूचित जाति के वर-वधू ने समाज में समानता और परिवर्तन का संदेश दिया।
कैसी है ये अनोखी शादी…
28 वर्षीय जितेंद्र वर्मा और 26 वर्षीय वेदिका ने संविधान की उद्देशिका की शपथ लेकर एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया। इस अवसर पर बाबा साहेब आम्बेडकर की प्रतिमा को माला पहनाकर उन्होंने विवाह की रस्म पूरी की। विवाह समारोह में मौजूद सभी मेहमानों ने भी समाज में समानता और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लिया।
संविधान की उद्देशिका का लिया संकल्प
इस अनोखी शादी में दूल्हा-दुल्हन ने संविधान को आधार बनाकर जीवनभर एक-दूसरे का साथ निभाने की शपथ ली। जितेंद्र वर्मा बीए, एलएलबी कर चुके हैं और बीमा अभिकर्ता हैं, जबकि वेदिका एमए, बीएड हैं। वेदिका के पिता नहीं हैं, उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया है। दूल्हा-दुल्हन ने पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों को छोड़कर समाज में एक नई मिसाल पेश की। इस विवाह में मंडप सजाया गया था, लेकिन कोई धार्मिक रस्म नहीं हुई। इसके बजाय सभी मेहमानों ने बाबा साहेब आम्बेडकर और गौतम बुद्ध के सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लिया।
नीली पत्रिका और महापुरुषों के विचारों का प्रचार
रिटायर्ड सहायक शिक्षक राधेश्याम वर्मा के घर इस विवाह के लिए नीली रंग की विशेष पत्रिका छपवाई गई, जिसमें भगवान बुद्ध, संत रविदास, कबीरदास, बाबा साहेब आम्बेडकर और ज्योतिबा फुले की तस्वीरें थीं। साथ ही संविधान की उद्देशिका और इन महापुरुषों के विचारों को भी प्रमुखता दी गई। इस अनूठे विवाह ने समाज में समानता और न्याय का संदेश देते हुए नई परंपरा की शुरुआत की है। मेहमानों ने भी इस बदलाव की सराहना करते हुए इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया।
बाबा महाकाल का त्रिशूल तिलक और मावे से दिव्य श्रृंगार, देश-विदेश से दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु