India News (इंडिया न्यूज), MP News: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने बिजली कंपनियों द्वारा बकाया वसूली के लिए अपनाई जा रही मनमानी प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया है। जानकारी के मुताबिक, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी उपभोक्ता से विद्युत चोरी या अनधिकृत उपयोग के मामले में सीधे संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई कानून के विपरीत है।
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जानिए डिटेल में
बता दें, यह मामला नवीन जैन द्वारा दायर एक याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता के वकील अंचित जैन ने अदालत को बताया कि 23 जुलाई 2022 को विद्युत विभाग ने नवीन जैन पर बिजली चोरी का आरोप लगाते हुए 1,93,561 रुपये की वसूली का नोटिस जारी किया था। जब उन्होंने भुगतान नहीं किया, तो विभाग ने संपत्ति कुर्क करने का नोटिस भेज दिया और जब्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस मामले में, हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिजली कंपनियों को किसी उपभोक्ता को पहले नोटिस देकर उसका जवाब लेने का अवसर देना अनिवार्य है। अगर उपभोक्ता जवाब प्रस्तुत करता है, तो उसकी पावती देना जरूरी होता है।
उपभोक्ताओं को राहत मिली
यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो ही विभाग उपभोक्ता से वसूली कर सकता है, लेकिन सीधे संपत्ति जब्त करने का अधिकार उसे नहीं है। हाईकोर्ट ने बिजली कंपनियों की इस मनमानी प्रक्रिया को संविधान के विरुद्ध बताते हुए इसे अपास्त घोषित कर दिया। बताया गया है कि, इस फैसले से उपभोक्ताओं को राहत मिली है और यह स्पष्ट हो गया है कि बिजली कंपनियां बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए संपत्ति जब्त नहीं कर सकतीं।