India News (इंडिया न्यूज), MP Politics: मध्यप्रदेश में जिला संगठन अध्यक्षों के चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज रही। अब तक 62 में से 47 जिलाध्यक्षों के नाम घोषित किए जा चुके हैं। इस प्रक्रिया में कई नए चेहरे सामने आए हैं, जबकि कुछ पुराने जिलाध्यक्षों को दोबारा मौका दिया गया है।
नए और पुराने का संतुलन
चुनाव में 16 पुराने जिलाध्यक्षों को दोबारा जिम्मेदारी दी गई है, वहीं 31 नए चेहरों को मौका मिला है। इस बार चार महिलाओं को भी जिलाध्यक्ष के रूप में चुना गया है, जिससे पार्टी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया है। जिलाध्यक्षों के चयन में क्षेत्रीय नेताओं का प्रभाव साफ दिखाई दिया। कई जिलों में नेताओं ने अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनवाने में अहम भूमिका निभाई।
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किस को मिला मौका
गुना, शिवपुरी और अशोकनगर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव देखने को मिला।
जबलपुर और दमोह में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के समर्थकों को मौका मिला।
विदिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद को प्राथमिकता दी गई।
मऊगंज में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल का प्रभाव स्पष्ट रहा।
सागर जिले में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और ग्रामीण क्षेत्र में गोपाल भार्गव का प्रभाव दिखा।
मुरैना और श्योपुर में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की सहमति से जिलाध्यक्ष बने।
ग्वालियर और बुंदेलखंड में पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा के समर्थकों को तवज्जो मिली।
सामाजिक संतुलन का ध्यान
सामाजिक संतुलन बनाते हुए विभिन्न वर्गों से जिलाध्यक्ष चुने गए हैं।
– ओबीसी वर्ग से 16 जिलाध्यक्ष बने। ब्राह्मण वर्ग से 12, वैश्य वर्ग से 6, क्षत्रिय वर्ग से 5, दलित और आदिवासी वर्ग से 4-4 जिलाध्यक्ष चुने गए।
नए चेहरों से उम्मीदें
पार्टी का मानना है कि नए चेहरों को मौका देने से संगठन में नई ऊर्जा आएगी। साथ ही, वरिष्ठ नेताओं का अनुभव संगठन को मजबूत बनाएगा। इस चयन प्रक्रिया के बाद पार्टी ने सभी जिलाध्यक्षों को क्षेत्र में सक्रिय होकर संगठन को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
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