India News (इंडिया न्यूज), Nagar Singh Chauhan: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के मंत्री नागर सिंह चौहान का एक बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। अलीराजपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे”। यह बयान धर्मांतरण के मुद्दे पर दिया गया, जिसमें उन्होंने आदिवासी समाज को एकजुट रहने की सलाह दी।

 

क्या कहा मंत्री नागर सिंह चौहान ने?

 

नागर सिंह चौहान, जो कि अलीराजपुर से बीजेपी विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “आदिवासी समाज को एकजुट रहना चाहिए, क्योंकि अगर समाज बंट गया, तो यह झगड़ा कभी खत्म नहीं होगा। जब हम जल, जंगल और जमीन की बात करते हैं, तो सबसे पहले समाज को मजबूत करना जरूरी है। धर्मांतरण को रोकना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है, क्योंकि यह समाज को विभाजित कर रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि ईसाई मिशनरियां आदिवासी समाज को धर्मांतरण के लिए प्रेरित कर रही हैं और इससे समाज में फूट पड़ रही है। उन्होंने कहा कि अगर आदिवासी धर्म परिवर्तन कर लेंगे, तो वे बाबा देव की पूजा छोड़ देंगे, जो कि उनकी परंपराओं से हटने जैसा होगा।

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बयान पर मचा सियासी घमासान

 

मंत्री चौहान का यह बयान आते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र चुनाव के दौरान इसी तरह का बयान दिया था, “एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे और बटेंगे तो कटेंगे”। अब जब मंत्री चौहान ने इसी तर्ज पर बयान दिया है, तो इसे लेकर बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों ने इस बयान को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है, तो वहीं पार्टी के समर्थकों ने इसे समाज की एकता बनाए रखने के लिए जरूरी बताया है।

नागर सिंह चौहान का राजनीतिक सफर

नागर सिंह चौहान अलीराजपुर से चौथी बार विधायक चुने गए हैं और मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया है। उनकी पत्नी अनीता नागर सिंह चौहान रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से बीजेपी की सांसद हैं। उनकी राजनीतिक पकड़ आदिवासी इलाकों में मजबूत मानी जाती है और उनके बयान अक्सर सुर्खियों में रहते हैं।

प्रदेश में छिड़ी नई बहस

मंत्री नागर सिंह चौहान का बयान मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस छेड़ चुका है। धर्मांतरण और आदिवासी समाज की एकजुटता जैसे मुद्दे पर उन्होंने जो कहा, वह सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच मतभेदों को और बढ़ा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान पर राजनीतिक दलों की आगे क्या प्रतिक्रिया रहती है और क्या यह कोई बड़ा मुद्दा बनकर उभरता है।

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