India News(इंडिया न्यूज),Jagannath Temple: जगन्‍नाथ मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के तटीय शहर पुरी में स्थित है, जो भगवान जगन्‍नाथ यानी श्री कृष्‍ण को समर्पित है। भगवान कृष्ण की इस नगरी को जगन्नाथपुरी कहा जाता है। यह मंदिर हिंदुओं के चार पवित्र स्थानों बद्रीनाथ, रामेश्‍वरम, द्वारका और जगन्‍नाथपुरी में से एक है। यह मंदिर अपने आप में कई मान्यताओं और रहस्यों के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में आज भी कई चमत्कार हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है। ऐसा ही एक रहस्य है इस मंदिर की सीढ़ियों को लेकर, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे।

रहस्यमयी हैं जगन्नाथपुरी की सीढ़ियां

पुराणों के अनुसार, जगन्नाथ को धरती का स्वर्ग यानि वैकुंठ धाम माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण, भाई बलराम और बहन सुभद्रा मौजूद हैं। जगन्‍नाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान जगन्‍नाथ के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सारे पाप धुल जाते हैं। वैसे तो हर मंदिर के अपने-अपने रहस्य होते हैं, लेकिन जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी से जुड़े रहस्य के बारे में आपने नहीं सुना होगा। आइए इस मंदिर की रहस्यमयी सीढ़ियों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

किंवदंती से मिलता है यह

एक पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ से मिलने के बाद लोग पापों से मुक्त होने लगे। तब यह देखकर यमराज भगवान जगन्नाथ के पास गए और बोले, हे प्रभु, आपने पाप से मुक्ति पाने का यह सरल उपाय बताया है। आपके दर्शन मात्र से ही लोग आसानी से पापों से मुक्त हो जाते हैं और कोई नरक में नहीं जाता।” यमराज जी की बात सुनकर भगवान जगन्नाथ ने कहा कि आप मंदिर के मुख्य द्वार पर तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करें, जिसे यम शिला कहा जाएगा। जो कोई मुझे देखकर उस पर पैर रखेगा, उसके सारे पुण्य नष्ट हो जायेंगे और उसे यमलोक जाना पड़ेगा।

तीसरी सीढ़ी पर पैर रखना है वर्जित

जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय नीचे से तीसरी सीढ़ी पर यमशिला मौजूद है। दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करते समय सीढ़ियों पर पैर रखना होगा, लेकिन दर्शन के बाद लौटते समय उन सीढ़ियों पर पैर न रखने की सलाह दी जाती है। इस सीढ़ी की पहचान की बात करें तो इसका रंग काला है और जो बाकी सीढ़ियों से बिल्कुल अलग रंग है। जगन्नाथपुरी मंदिर में कुल 22 सीढ़ियाँ हैं, दर्शन करने के बाद आपको नीचे से शुरू होने वाली तीसरी सीढ़ी का ध्यान रखना होगा और उस पर पैर नहीं रखना चाहिए, अन्यथा दर्शन का सारा पुण्य व्यर्थ हो जाएगा।

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