India News (इंडिया न्यूज),Sharad Pawar NCP: महाराष्ट्र में मनुस्मृति और गीता के श्लोकों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने को लेकर विवाद चल रहा है। शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) के नेता जितेंद्र आव्हाड स्कूली पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के कुछ श्लोकों को शामिल करने की कोशिश के विरोध में सड़कों पर उतर आए। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ जितेंद्र आव्हाड ने आक्रामक रुख अपनाया और मनुस्मृति के पन्ने जलाए। पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में मनुस्मृति और गीता के श्लोकों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का मुद्दा सुर्खियों में है।

राज्य सरकार के इस फैसले के विरोध में एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने मनुस्मृति के पन्ने जलाए। बुधवार दोपहर उन्होंने रायपुर जिले के महाड में मनुस्मृति जलाई। इसके विरोध में कई बीजेपी नेताओं ने उन पर निशाना साधा है।

कक्षा 3 से 12 तक में इसे पढ़ाए जाने का प्रस्ताव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, एससीईआरटी ने हाल ही में कक्षा 3 से 12 तक के पाठ्यक्रम की घोषणा की है। इसमें मनुस्मृति के श्लोक और भगवद गीता के अध्यायों को शामिल करने की सलाह दी गई है। इसके बाद राज्य में चर्चा शुरू हो गई है कि स्कूली पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के श्लोक पढ़ाए जाएंगे। इसे लेकर विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन आक्रामक हो गए हैं।

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महाराष्ट्र के इन दलों ने किया विरोध

कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार गुट, संभाजी ब्रिगेड ने मनुस्मृति के श्लोक पढ़ाए जाने का विरोध किया है। एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने इसका विरोध किया है। अजित पवार गुट के मंत्री और समता परिषद के अध्यक्ष छगन भुजबल ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने साफ कहा कि यह हमारी विचारधारा को स्वीकार्य नहीं है।

भीमराव अंबेडकर ने भी किया था मनुस्मृति का विरोध

शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि इससे पहले वर्ष 1927 में डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने मनुस्मृति का विरोध किया था। इस विचारधारा का विरोध जताते हुए उन्होंने मनुस्मृति भी जलाई है। उन्होंने कहा कि अगर मनुस्मृति के दो श्लोक स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किए जाते हैं, तो भविष्य में पूरी मनुस्मृति भी पाठ्यक्रम में शामिल हो जाएगी। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या मनुस्मृति को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के मुद्दे पर अजित पवार इस्तीफा देंगे?

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